UPSC मुख्य परीक्षा- 2018, 2019, 2020, 2021, 2022, 2023
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यू.पी.पी.एस.सी
मुख्य परीक्षा- 2018
सामान्य
हिंदी
UPPSC Mains-2018 GENERAL HINDI
सामान्य
हिन्दी
निर्धारित
समय: तीन घंटे। [ अधिकतम
अंकः 150
Time Allowed: Three Hours]
[Maximum
Marks: 150
नोटः
(ii) सभी
प्रश्न अनिवार्य हैं।
(iii) प्रत्येक
प्रश्न के अंक प्रश्न के अन्त में अंकित हैं।
(iv) पत्र, प्रार्थना-पत्र
या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अपना अथवा अन्य का नाम, पता
एवं अनुक्रमांक न लिखे। आवश्यक होने पर क, ख, ग
लिख सकते हैं।
1. निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
मैं
साहित्य को मनुष्य की दृष्टि से देखने का पक्षपाती हूँ । जो वाग्जाल मनुष्य को
दुर्गति, हीनता
और परमुखापेक्षिता से बचा न सके, जो
उसकी आत्मा को तेजोद्दीप्त न बना सके, जो
उसके हृदय को परदुःखकातर और संवेदनशीलता न बना सके, उसे
साहित्य कहने में मुझे संकोच होता हैं। मैं
अनुभव करता हूँ कि हम लोग एक कठिन समय के भीतर से गुजर रहे हैं। आज
नाना भाँति के संकीर्ण स्वार्थों ने मनुष्य को कुछ ऐसा अंधा बना दिया हैं
जाति-धर्म-निर्विशेष मनुष्य के हित की बात सोचना असम्भव हो गया हैं। ऐसा
लग रहा हैं कि किसी विकट दुर्भाग्य के इंगित पर दलगत स्वार्थ-प्रेम ने मनुष्यता को
दबोच लिया हैं। दुनिया
छोटे-छोटे संकीर्ण स्वार्थों के आधार पर अनेक दलों में विभक्त हो गई हैं। अपने
दल के बाहर का आदमी सन्देह की दृष्टि से देखा जाता हैं। उसके रोने-गाने तक पर
असदुद्देश्य का आरोप किया जाता हैं। उसके तप और
सत्यनिष्ठा का
मजाक उड़ाया जाता हैं।
(क)
प्रस्तुत गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिये। 5
(ख)
साहित्य के लक्ष्य के विषय में उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर विचार कीजिये। 5
(ग)
प्रस्तुत गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिये। 20
2. निम्नलिखित
गद्यांश को पढ़कर निर्देशानुसार उत्तर लिखिए।
परिवर्तन
से हम बच नहीं सकते। परिवर्तन से बचना अगति और दुर्गति को आमंत्रित करना हैं।
यद्यपि स्थिरता में किसी अंश में सुरक्षा हैं, तथपि
बिना जोखिम लिये आगे नहीं बढ़ा जाता हैं। नियमों की स्थिरता जो विज्ञान में हैं और
स्फूर्तिमय जीवन की गतिशीलता के साथ हमकों भी गतिशीलता जो साहित्य में हैं, दोनों
के बीच का हमें संतुलित मार्ग खोजना हैं। जीवन के संतुलनों में नए और पुराने का
संतुलन भी विशेष महत्त्व रखता हैं। संसार की गतिशीलता के साथ हमको भी गतिशील होना
पड़ेगा, किंतु
आँखें मूंदकर अंधकार की खाई में कूदना शूरता नहीं हैं। हमकों आगे कदम बढ़ाना हैं
किंतु आँखें खोलकर। नवीन के लिये हम अपने मनमंदिर का द्वार सदा खुला रखें, पूर्वाग्रहों
से काम न लें। उसके पक्ष और विपक्ष की युक्तियों को न्याय की तुला पर तौलें। एक
सीमा के भीतर नए प्रयोगों को भी अपने जीवन में स्थान दें, किंतु
केवल नवीनता के प्रमाण-पत्र से संतुष्ट न हो जाए। जिस तर्कबुद्धि को हम प्राचीन
प्रथाओं के उन्नमूलन में लगाते हैं उसी निर्मम तर्क को नवीन के परीक्षण में भी
लगावें किंतु नवीन को भूत की भाँति का कारण न बनावे।
(क)
प्रस्तुत गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिये।
5
(ख)
प्राचीन और नवीन में सन्तुलन क्यों आवश्यक हैं? विचार
कीजिये।
5
(ग)
प्रस्तुत गद्यांश का संक्षेपण कीजिये।
20
3. निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(क) 'अधिसूचना' को
पारिभाषित करते हुये मुख्य सचिव, उत्तर
प्रदेश सरकार की और से शिक्षकों की सेवानिवृति वय
बढ़ाने के संदर्भ में एक अधिसूचना का प्रारूप तैयार कीजिए।
10
(ख) स्वास्थ्य
विभाग, उत्तर
प्रदेश, लखनऊ
की और से सचिव, स्वास्थ्य
मंत्रालय, भारत
सरकार, नई
दिल्ली को भेजने के लिये एक अर्ध सरकारी पत्र का प्रारूप तैयार कीजिये जिसमें
उत्तर प्रदेश में कुपोषण से जूझते बच्चों के इलाज के लिये भारत सरकार के स्वास्थ्य
मंत्रालय से पूर्व में माँगी गई सहायता को यथाशीघ्र स्वीकृत करने के लिये आग्रह
किया गया हो।
10
4. निम्नलिखित
उपसर्गों/प्रत्ययों से एक-एक शब्द की रचना कीजियेः
अधि, परि, भर, अठ, नि, खुश, इक, आइन, आई, अक्कड़
5. निम्नलिखित
शब्दों के विलोम शब्द लिखिएः
आवरण, कृतज्ञ, अज्ञ, नैसर्गिक, अधम, आहूत, सकर्मक, मान, घात, वैतनिक
6.
(क) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए:
(i) यह
आँखों से देखी घटना हैं।
(ii) सौ
रुपया सधन्यवाद प्राप्त हुआ।
(iii) गीता
ने सीता से पूछा कि सीता कहाँ चली गई थी?
(iv) दक्षिण
का अधिकांश भाग पठार हैं।
(v) मैंने
बोला कि कल मत आना।
(ख)
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी का संशोधन कीजिए:
शिक्षणेत्तर, उपरोक्त, सौहार्द्र, पूज्यनीय, सौजन्यता
7. निम्नलिखित
वांक्यांशों के लिये एक-एक शब्द लिखिएः
(i) आकाश
को चूमने वाला।
(ii) संध्या
और रात के बीच का समय।
(iii) हमेशा
रहने वाला।
(iv) सौ
में सौ।
(v) जो
बात वर्णन से परे हो।
8. निम्नलिखित
मुहावरों लोकोक्तियों के अर्थ स्पष्ट कीजिए और अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
(i) नक्कारखाने
में तूती की आवाज
(ii) मक्खी
मारना
(iii) तिल
का ताड़ बनाना
(iv) सिर
आँखों पर बैठना
(v) हवा
का रंग देखना
(vi) ढाक
के तीन पात
(vii) गुरु
कीजे जान के, पानी
पीजे छान के
(viii) कर
खेती परदेस को जाए, वाको
जनम अकारथ जाए।
(ix) फूहड़
चालें, नौ
घर हालें
(x) अपनी
करनी पार उतरनी।
यू.पी.पी.एस.सी
मुख्य परीक्षा- 2019
सामान्य
हिंदी
UPPSC Mains-2019, GENERAL HINDI
सामान्य
हिंदी
General Hindi
Time Allowed: Three
Hours] [अधिकतम
अंकः 150
विशेष
अनुदेशः
i. सभी
प्रश्न अनिवार्य हैं।
ii. प्रत्येक
प्रश्न के अंक प्रश्न के अंत में अंकित हैं।
iii. पत्र, प्रार्थना
पत्र या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अपना अथवा अन्य किसी का नाम पता एवं
अनुक्रमांक न लिखें। आवश्यक होने पर क, ख, ग
का उल्लेख कर सकते हैं।
1. निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िये और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिये।
जिस
प्रकार साहित्य, धर्म
और विज्ञान का लोक के व्यापक जीवन में प्रवेश आवश्यक है, उसी
प्रकार जीवन
के संस्कार और समाज की स्थिति के लिये कला की अनिवार्य आवश्यकता है। यदि
कला कुछ सौन्दर्य-प्रेमियों के लिये विलास या कुतूहल वृत्ति का साधन मात्र रहेगी, तो
लोक की बड़ी हानि होगी। वस्तुतः
कला जीवन के सूक्ष्म और सुंदर पट का वितान है, जिसके
आश्रय में समग्र लोक अपनी उत्सवानुगामी और संस्कारक प्रवृत्तियों को तृप्त करता
हुआ, उच्च
म की शांति और समन्वय का अनुभव कर सकता है। मनुष्य
अपने अंतिम कल्याण के लिये यह चाहता है कि जितना स्थूल जड़ जगत् उसके चारों ओर
घिरा हुआ है, उसको
सुंदर रूप में ढाल ले। स्थूल
के ऊपर जो मानस और अध्यात्म जगत है उसको चरित्र और ज्ञान के द्वारा हय आकर्षक और
सौन्दर्य युक्त बनाते हैं। इस
द्विविध सौन्दर्य के बीच में ही जीवन पूरी तरह से रहने योग्य बनता है। जिस समय
जीवन के चरित्र और मनोभाव हमारे चारों ओर विकसित होकर अपनी लहरियों से वातावरण को
भर देते हैं और उनकी तरंगें हमारे अंतर्जगत को अहह्लादित और प्रेरित करती हैं, उस
समय यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि स्थूल पार्थिव वस्तुओं के जो अनगढ़ रूप हमें
घेरे हुए हैं, वे
भी कला के प्रभाव से द्रवित हो जाएँ और उनमें से रूप-सौन्दर्य और श्री के सोते फूट
निकलें। कला का प्रत्येक उदाहरण जगमगाते दीपक की तरह अपने चारों ओर प्रकाश की
किरणें भेजता रहता है।
(क)
प्रस्तुत गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिये।
5
(ख)
जीवन किसी स्थिति में रहने योग्य बनता है? गद्यांश के आधार पर
स्पष्ट कीजिये।
5
(ग)
उपर्युक्त गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिये।
20
2. निम्नलिखित
गद्यांश को पढ़कर निर्देशानुसार उत्तर लिखिये।
जीवन
को उसकी समग्रता में सोचना और जीवन को एक खास इरादे से सोचना दो अलग तरह की
तैयारियाँ हैं और इस माने में साहित्य जब भी राजनीति की तरह भाषा का एक तरफा या
इकहरा प्रयोग करता है, वह
अपनी मूल शक्ति को सीमित या कुंठित करता है। राजनीति के मुहावरे में बोलते समय हम
एक ऐसे वर्ग की भाषा बोल रहे होते हैं जिसके लिये भाषा प्रमुख चीज नहीं है, वह
भाषा का दूसरे या तीसरे दर्जे का इस्तेमाल है। वह एक खास मकसद तक पहुँचने का
साधनमात्र है। उसे भाषा की सामर्थ्य, प्रामाणिकता
या सचाई में उस तरह दिलचस्पी नहीं रहती जिस तरह साहित्य को। उसकी भाषा
प्रचार-प्रमुख, रेटारिकल
और नकली व्यक्तित्व की भाषा हो सकती है क्योंकि राजनीति के लिये भाषा एक
व्यावहारिक और कामचलाऊ चीज है जबकि साहित्यकार के लिये भाषा उस ज़िन्दगी की सचाई
का जीता-जागता हिस्सा है जिसे वह राजनीतिक, व्यावसायिक, व्यावहारिक
या स्वार्थों की हिंसा, तोड़-फोड़
और प्रदूषण से बचाकरके उसकी मूल गरिमा और शक्ति में स्थापित या पुनर्स्थापित करना
चाहता है। साहित्य का काम अपनी पहचान को राजनीति का भाषा में खो देना नहीं, बल्कि
उस भाषा के छद्म से अपने को लगभग बेगाना करके अकेला कर लेना है, एक
सत्त की तरह अकेला, कि
राजनीति के लिये ज़रूरी हो जाए कि वह बार बार अपनी प्रामाणिकता और सचाई के लिये
साहित्य से भाषा माँगे न कि साहित्य ही राजनीति की भाषा बनकर अपनी पहचान खो दे।
(क)
प्रस्तुत गद्यांश के लिये उचित शीर्षक दीजिये।
5
(ख)
साहित्य की और राजनीति की भाषा में प्रमुख अंतर क्या है? स्पष्ट
कीजिये।
5
(ग)
उपर्युक्त गद्यांश का संक्षेपण कीजिये।
20
3. निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर लिखिये।
(क) परिपत्र
किसे कहते हैं? स्वास्थ्य
विभाग, उ.प्र.
के प्रमुख सचिव की ओर से प्रदेश के पर्वी जिलों के बच्चों को मस्तिष्क
ज्वर से बचाने के लिये उचित व्यवस्था हेतु परिपत्र तैयार कीजिये।
10
(ख) कार्यालय
आदेश का परिचय दीजिये। गृह विभाग, उ.प्र.
सरकार क़ी आरे से जारी किसी कर्मचारी के स्थानांतरण संबंधी कार्यालयी आदेश का
प्रारूप तैयार कीजिये।
10
4. निम्नलिखित
शब्दों के विलोम लिखिये।
10
परिचित, आपत्ति, पूर्ण, धरती, प्रिय, जय, विहित, स्निग्ध, भय, शत्रु
(क) निम्नलिखित
शब्दों में प्रयुक्त उपसगों का निर्देश कीजिये।
संगोष्ठी
प्रत्यक्ष, पराक्रम, निर्वसन, निस्सन्देह
(ख) निम्नलिखित
शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिये।
शैव, नीलिमा, दाक्षिणात्मक, खुर्दबीन, वर्तमान
6. निम्नलिखित
वाक्यों या पदबंधों के लिये एक-एक शब्द लिखिये। 5
(i) जो
कृतज्ञ न हो।
(ii) जो
सूर्य न देखे ऐसी स्त्री।
(iii) जो
रूढ़ियों में विश्वास करता हो।
(iv) जो
पूरा के योग्य हो।
(v) जो
देश से प्रेम करता हो।
7. (क)
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिये। 5
(i) राम
घर जाती है।
(ii) मैंने
जाना है।
(iii) मैंने
आपके घर में रखी पुस्तक को देख ली।
(iv) विद्यालय
में सभी कक्षा के विद्यार्थी बुलाए गए हैं।
(v) मनोज
रोती है।
(ख)
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी का संशोधन कीजिये। 5
निष्पापी, पूर्ती, मुनी, लिपी, नीती
8. निम्नलिखित
मुहावरों/ लोकोक्तियों के अर्थ लिखिये और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिये। 30
(i) यथा
राजा तथा प्रजा
(ii) अरहर
की टट्टी गुजराती ताला
(iii) आ
बैल मुझे मार
(iv) नौ
दो ग्यारह हो जाना
(v) जैसा
देश वैसा भेष
(vi) दाल
भात में मूसरचंद
(vii) ऊँची
दूकान फीके पकवान
(viii) मान
न मान मैं तेरा मेहमान
(ix) अंधेर
नगरी चौपट राजा
(x) असमान
से गिरा खजूर में अटका।
यू.पी.पी.एस.सी
मुख्य परीक्षा- 2020
सामान्य
हिंदी
UPPSC Mains-2020, GENERAL HINDI
सामान्य
हिंदी
General Hindi
निर्धारित
समय: तीन घंटे। [ अधिकतम
अंकः 150
Time Allowed: Three
Hours] [Maximum
Marks: 150
विशेष
अनुदेशः
(i) सभी
प्रश्न अनिवार्य हैं।
(ii) प्रत्येक
प्रश्न के अंत में निर्धारित अंक अंकित हैं।
(iii) पत्र, प्रार्थना
पत्र या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अपना अथवा अन्य किसी का नाम, पता
एवं अनुक्रमांक ना लिखें। आवश्यक होने पर क, ख, ग
उल्लेख कर सकते हैं।
Specific Instructions:
(i)
All questions are compulsory.
(ii)
Marks are given against each of the question.
(iii)
When writing Letter Request-letter or any other answers don't write your name
or others name, address or Roll No. If it is necessary you can use only A, B,
C.
1. निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिये।
भारत, प्रकृति
की संसार में सबसे बड़ी लीला भूमि है। यहाँ सभी ऋतुएँ-किसी
न किसी भाग में एक साथ मौजूद रहती हैं नदी, पर्वत, वन
और अन्नपूर्णा धरती से, भारतीय
साहित्य का सदा से गहरा संबंध रहा है। क्योंकि उसने प्रकृति से अपनी सहधर्मिता और
सहअस्तित्व को पहचाना है। भारत की पहली कविता ही पशु-पक्षी की हिंसा के विरूद्ध
जन्मी थी। कवियों ने प्रकृति की हल्की से हल्की धड़कन और कंपन को महसूस किया है।
आदिकवि वाल्मीकि जानते हैं कि कड़कड़ाती ठंड में जलचर हंस कैसे संभल कर, डरकर
ठंडे पानी में पैर डालते हैं? कालिदास
को पता है कि अनुकूल मंद-मंद पवन यात्रा का शुभ शुकुन हैं प्रेमचंद के बैल अपनी
व्यथा-कथा हमारे कान में कह जाते हैं। प्रसाद की प्रकृति हमें अतिवाद के प्रति
सावधान करती है। रचनाकार
तो मनुष्य की संवेदना का प्रतीक भी है और प्रहरी भी। प्रकृति से उसका साहचर्य और
संवाद मनुष्य से प्रकृति के संवाद और साहचर्य का प्रतीक है। इस
तरह अंतः प्रकृति और वाह्यप्रकृति के सहारे निरंतर परिष्कृत, सरल
और प्रांजल बनती है। आज प्रकृति के प्रति हिंस और विसंवादी होकर हमने क्या पाया
है- तरह तरह के शारीरिक, मानसिक
रोग, एक
संकीर्ण और विकृत अंतःकरण, एक
संवेदनहीन आत्मकेंद्रित जगत और चारों तरफ प्रदूषण का तांडव जो अंततः हमारा विनाश
ही करेगा। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि पहाड़
और समुद्र को देखने भर से मनुष्य का हृदय विशाल होता है तो यदि वे हमारे मन में ही
बस जाएँ, तो
हम कितने विराट और उदात्त हो सकेंगे? यह
जान लेना जरूरी है कि प्रकृति
मनुष्य का प्रतिपक्ष नहीं है, वह
उसकी सहचरी है। जो
रहस्य खोजे गए हैं- वे खोजने के लिये ही उसने बचाए हैं, ताकि
मनुष्य का कृतित्व अकारथ न हो, उसका
पौरूष हीनता-बोध में ना बदल जाए।
(क)
प्रस्तुत गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिये। 5
(ख)
मनुष्य और प्रकृति के आपसी रिश्ते को गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिये। 5
(ग)
उपर्युक्त गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिये। 5
2. निम्नलिखित
गद्यांश को पढ़कर निर्देशानुसार उत्तर लिखिये।
विद्वानों
का मानना है कि राजनीति ने भाषा को भ्रष्ट कर दिया है; शब्दों
से उनके सही अर्थ छीनकर उन्हें छद्म अर्थ पहना दिये हैं संसद, संविधान, कानून, जनहित, न्याय, अधिकार, साक्ष्य, जाँच
जैसे ढेरों शब्द अपना असली अर्थ खोकर बदशक्ल हो चुके हैं। शब्द भले ही अच्छा या
बुरा कोई भी अर्थ प्रकट करता हो, जब
अपना असली अर्थ खो देता है, तो
वह बदशक्ल हो जाता है। भाषा का भ्रंश, अंततः
सामाजिक मानवीय मूल्यों का भ्रंश है। कल्पना कीजिये कि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से
जो कहे उसका वही अर्थ ना हो, जो
भाषा प्रकट करती है या ऐसे अनुभवों की पुनरावृत्ति के कारण दूसरा व्यक्ति उसे सही
अर्थ में ना लेकर उसमें अनर्थ या अन्य अर्थ खोजने लगे तो क्या होगा? यह
मनुष्य का मनुष्य पर से विश्वास उठने का मामला है, जो
सामाजिक विशृंखला पहला और अंतिम चरण हैं पहला इसलिये कि भाषा को मनुष्य ने परस्पर
संवाद और सही संप्रेषण के लिये गढ़ा है और अंतिम इसलिये कि आगे चलकर मनुष्य का
कर्म भी भाषा के मूल अर्थ का नहीं उसके भ्रंश का रूप ले लेता है। क्या हम भाषा को
भ्रष्ट करने की परिणति राजनीतिक और सामाजिक जीवन के चरम पतन में नहीं देख रहे ?
(क)
प्रस्तुत गद्यांश के लिये उचित शीर्षक दीजिये। 5
(ख)
उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर भाषा की भूमिका पर प्रकाश डालिये। 5
(ग)
उपर्युक्त गद्यांश का संक्षेपण कीजिये।
3. निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर लिखिये।
(क) कार्यालय
आदेश किसे कहते हैं ? शिक्षा
विभाग, उत्तर
प्रदेश की ओर से जारी विशेष छात्रवृत्ति योजना संबंधी कार्यालय आदेश का प्रारूप
तैयार कीजिये। 10
(ख) मुखिया
की ओर से पंचायत में कोविड-19 से
हो रही मृत्यु संबंधी एक सरकारी पत्र जिलाधिकारी को लिखिये। 10
4. निम्नलिखित
शब्दों के विलोम लिखिये। 10
सुषुप्ति, पूर्व, प्रसन्न, परकीय, महान, ज्ञानी, लघु, नीति, शोक, विघ्न
5. (क)
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों को निर्देश कीजिये।
अपव्यय, निष्काम, उन्नयन, संशय, स्वच्छ
6. निम्नलिखित
वाक्यांशों या पदबंधों के लिये एक-एक शब्द लिखिये। 10
(1) जिसका
आदि न हो
(2) व्यर्थ
खर्च करने वाला
(3) बिना
पलक झपकाए
(4) मरने
की इच्छा
(5) जिसे
दूर करना कठिन हो।
7. (क)
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिये। 5
(1) निपराधी
को दंड नहीं मिलनी चाहिये।
(2) आप
खाए कि नहीं ?
(3) लड़की
ने दही गिरा दी।
(4) आपके
दवा से वह आरोग्य हुआ।
(5) कमरा
लोगों से लबालब भरा है।
8. निम्नलिखित
मुहावरों/लोकोक्तियों के अर्थ लिखिये और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिये। 5
(1) आठ-आठ
आँसू बहाना
(2) कागज
की नाव
(3) चादर
से बाहर पैर फैलाना
(4) टोपी
उछालना
(5) मिट्टी
खराब करना
(6) रँगा
सियार होना
(7) का
बरखा जब कृषि सुखाने
(8) कंगाली
में आटा गीला
(9) नेकी
कर कुएँ में डाल
(10) पर
उपदेश कुशल बहुतेरे।
यू.पी.पी.एस.सी
मुख्य परीक्षा- 2021
सामान्य
हिंदी
UPPSC Mains-2021, GENERAL HINDI
सामान्य
हिंदी
General Hindi
निर्धारित
समय: तीन घंटे। [अधिकतम
अंकः 150
Time Allowed: Three
Hours] [Maximum
Marks: 150
विशेष
अनुदेशः
(i) सभी
प्रश्न अनिवार्य हैं।
(ii) प्रत्येक
प्रश्न के अंत में निर्धारित अंक अंकित हैं।
(iii) पत्र, प्रार्थना
पत्र या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अपना अथवा अन्य किसी का नाम, पता
एवं अनुक्रमांक ना लिखें। आवश्यक होने पर क, ख, ग
उल्लेख कर सकते हैं।
Specific Instructions:
(i)
All questions are compulsory.
(ii)
Marks are given against each of the question.
(iii)
Please do not write your or another's name, address and roll no. with letter
application or any other question. You can mention क, ख, ग if necessary.
1. निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
किसी
परिमित वर्ग से कल्याण से संबंध रखने वाले धर्म की अपेक्षा विस्तृत जनसमूह के
कल्याण से के कल्याण से संबंध रखने वाला धर्म, उच्च
कोटि का है। धर्म
की उच्चता उसके लक्ष्य के व्यापकत्व के अनुसार समझी जाती है। गृहधर्म या कुल धर्म
से समाज धर्म श्रेष्ठ है, समाज-धर्म
से लोकधर्म, लोकधर्म
से विश्वधर्म, जिसमें
धर्म अपने शुद्ध और पूर्ण स्वरूप में दिखाई पड़ता है। यह पूर्ण धर्म अंगी है और
शेष धर्म अंग। पूर्ण
धर्म, जिसका
संबंध अखिल विश्व की स्थिति रक्षा से है, वस्तुतः
पूर्ण पुरुष या पुरुषोत्तम में ही रहता है, जिसकी
मार्मिक अनुभूति सच्चे भक्तों को ही हुआ करती है, इसी
अनुभूति के अनुरूप उनके आचरण का भी उत्तरोत्तर विकास हो जाता है। गृह धर्म पर
दृष्टि रखने वाला लोक या समस्त या किसी परिवार की रक्षा देखकर, वर्ग
धर्म पर दृष्टि रखने वाला, किसी
वर्ग या समाज की रक्षा देखकर और लोक धर्म पर दृष्टि रखने वाला लोक या समस्त मनुष्य
जाति की रक्षा देखकर आनन्द का अनुभव करता है। पूर्ण या शुद्ध धर्म का स्वरूप सच्चे
भक्त ही अपने और दूसरों के सामने लाया करते हैं, जिनके
भगवान पूर्ण धर्म स्वरूप हैं, अतः
ये कीटपतंग से लेकर मनुष्य तक सब प्राणियों की रक्षा देखकर आनन्द प्राप्त करते
हैं। विषय की व्यापकता के अनुसार उनका आनन्द भी उच्च कोटि का होता है। उच्च से
उच्च भूमि के धर्म का आचरण अत्यन्त साधारण कोटि का हो सकता है इसी प्रकार निम्न
भूमि के धर्म का आचरण उच्च से उच्च कोटि का हो सकता है। गरीबों
का गला काटने चाल चीटियों के बिलो पर आटा फैलाते देखे जाते हैं, अकाल-पीड़ितों
की सहायता में एक पैसा चंदा न देने वाले अपने डूबते मित्र को बचाने के लिय प्राण
संकट में डालते देखे जाते हैं।
(क)
प्रस्तुत गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिये।
(ख)
धर्म समाज का कल्याण कैसे करता है? इसे
गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिये।
(ग)
उपर्युक्त गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिये।
2. निम्नलिखित
गद्यांश को पढ़कर निर्देशानुसार उत्तर लिखिये।
लोभियों
का दमन योगियों के दमन से किसी प्रकार कम नहीं होता। लोभ के बल से वे, काम
और क्रोध को जीतते हैं, सुख
की वासना का त्याग करते हैं, मान-अपमान
में समान भाव रखते हैं। अब और चाहिए क्या? जिससे वे कुछ पाने की
आशा रखते हैं वह यदि उन्हें दस गालियाँ भी देता है तो उनकी आकृति पर न रोष का कोई
चिह्न प्रकट होता है और न मन मेंग्लानि होती है। न उन्हें मक्खी चूसने में घृणा
होती है और न रक्त चूसने में दया। सुन्दर से सुन्दर रूप देखकर वे अपनी एक कौड़ी भी
नहीं भूलते। करूण से करूण स्वर सुनकर वे अपना एक पैसा भी किसी के यहाँ नहीं
छोड़ते। तुच्छ से तुच्छ व्यक्ति के सामने हाथ फैलाने में वे लज्जित नहीं होते।
क्रोध, दया, घृणा, लज्जा
आदि करने से क्या मिलता है कि वे के जायें? जिस बात से उन्हें
कुछ मिलता नहीं जबकि उसके लिये उनके मन के किसी कोने में जगह नहीं होती, तब
जिस बात से पास का कुछ जाता है, वह
बात उन्हें कैसी लगती होगी यह यों ही समझा जा सकता है। जिस बात में कुछ लो वह उनके
किसी काम की नहीं चाहे वह कष्ट निवारण हो या सुख-प्रप्ति, धर्म
हो या न्याव। वे शरीर सुखाते हैं, अच्छे
भोजन, अच्छे
वस्त्र आदि की आकांक्षा नहीं कस्ते। लोभ के अंकुश से अपनी सम्पूर्ण इद्रियों को वश
में रखते हैं। लोभियों! तुम्हारा अक्रोध, तुम्हाण
इन्द्रिय-निग्रह, तुम्हारा
मानापमान-समता, तुम्हारा
तप अनुकाणीय है। तुम्हारी निष्रता, तुम्हारे
निर्लज्जता, तुम्हारा
अविबेक, तुम्हारा
अन्याय विगर्हणीय है। तुम धन्य हो ! तुम्हें घिककार है!!
(क)
प्रस्तुत गद्यांश के लिये उचित शीर्षक दीजिये। 5
(ख)
उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर लोभियों के लक्षण बताइए। 5
(ग)
उपर्युक्त गद्यांश का संक्षेपण कीजिये। 20
3. निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर दीजिये।
(अ)
अर्ध सरकारी पत्र किसे कहते है? यह
सरकारी पत्र से किस प्रकार भिन्न होता है? दोनों का अलग-अलग
प्रारूप
तैयार कीजिये। 10
(अ) नगर
महापौर की ओर से महानगर में डेंगू से हो रही मृत्यू संबंधी एक सरकारी पत्र उत्तर
प्रदेश शासन
को
लिखिये। 10
4. निम्नलिखित
शब्दों के विलोम लिखिये। 10
अनुक्रिया, अधिष्ठित, वादी, आगमन, सज्जन, सुपुपत्र, राग, सम्मुख, सलज्ज, उदात्त
5. (क) निम्नलिखित
शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिये। 5
उपासना, दुस्साध्य, निमीलित, सुपुत्र, अपस्मार
(ख) निम्नलिखित
शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग कीजिये। 5
अपनापा, वैदिक, राधेय, गुरुता, ग्रामीण
6. निम्नलिखित
वाक्यांशों या पदबंधों के लिये एक-एक शब्द लिखिये।
(1) उत्तराधिकार
में प्राप्त सम्पत्ति
(2) शत्रुओं
का हनन करने वाला
(3) मुकदमा
दायर करने वाला व्यक्ति
(4) युद्ध
की प्रबल इच्छा हो जिसमें
(5) उत्तर
देकर खंडन करना
7. (क)
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिये।
(1) तुम
तुम्हारी किताब ले जाओ।
(2) यही
सरकारी महिलाओं का अस्पताल है।
(3) यह
एक गहरी समस्या है।
(4) मोहन
आगामी वर्ष कलकत्ता गया था।
(5) गणित
एक कठोर विषय है।
(ख)
निम्न शबदों की वर्तनी का संशोधन कीजिये।
व्यवहारिक, तत्कालीक, आशीर्वाद, पुज्यनीय, इच्छिक
8. निम्नलिखित
मुहावरों/लोकोक्तियों के अर्थ लिखिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिये।
(1) जब
तक साँस तब तक आस
(2) जिसका
काम उसी को साजै
(3) चित
भी मेरी पट भी मेरी
(4) झूठ
के पाँव नहीं होते
(5) हाथ
कंगन को आरसी क्या
(6) आड़े
आना
(7) आँखे
बिछाना
(8) खाक
छानना
(9) ठन-ठन
गोपाल
(10) शैतान
की आँते
2022
सामान्य
हिन्दी
GENERAL HINDI
निर्धारित
समय : तीन घंटे] [अधिकतम
अंक : 150
Time Allowed: Three Hours] [Maximum
Marks: 150
उत्तर
देने से पूर्व निम्नलिखित निर्देशों को कृपया सावधानीपूर्वक पढ़ें :
(i) सभी
प्रश्न अनिवार्य हैं।
(ii) प्रत्येक
प्रश्न के अंत में निर्धारित अंक अंकित हैं।
(iii) पत्र, प्रार्थना
पत्र या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अपना अथवा अन्य किसी का नाम, पता
एवं अनुक्रमांक न लिखें। आवश्यक होने पर क, ख, ग
का उल्लेख कर सकते हैं।
Please read each of the following instructions carefully
before attempting questions.
(i)
All questions are compulsory.
(ii)
Marks are given against each of the question.
(iii)
Please do not write your or another's name, address and roll no. with letter,
application or any other question. You can mention क, ख, ग if necessary.
1. निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
जीवन
को उसकी समग्रता में सोचना और जीवन को एक ख़ास इरादे से सोचना दो अलग तरह की
तैयारियाँ हैं और इस माने में साहित्य
जब भी राजनीति की तरह भाषा का एकतरफा या इकहरा इस्तेमाल करता है, तो
वह अपनी मूल शक्ति को सीमित या कुंठित करता है। राजनीति
के मुहावरे में बोलते समय हम एक ऐसे वर्ग की भाषा बोल रहे होते हैं जिसके लिए भाषा
प्रमुख चीज़ नहीं है, वह
भाषा का दूसरे या तीसरे दर्जे का इस्तेमाल है : वह एक खास मकसद तक पहुँचने का साधन
मात्र है। उसे
भाषा की सामर्थ्य, प्रामाणिकता
या सचाई में उस तरह दिलचस्पी नहीं रहती जिस तरह साहित्य की। उसकी
भाषा प्रचार-प्रमुख रेटारिकल और नकली व्यक्तित्व की भाषा हो सकती है, क्योंकि
राजनीति के लिए भाषा एक व्यावहारिक और कामचलाऊ चीज़ है जबकि साहित्यकार
के लिए भाषा उस जिंदगी की सचाई का एक जीता-जागता हिस्सा है जिसे वह राजनीतिक, व्यावसायिक, व्यावहारिक
या स्वार्थों की हिंसा, तोड़-फोड़
और प्रदूषण से बचा करके उसकी मूल गरिमा और शक्ति में स्थापित या पुनर्स्थापित करना
चाहता है। साहित्य
का काम अपनी पहचान को राजनीति की भाषा में खो देना नहीं, बल्कि
उस भाषा के छद्म से अपने को लगभग बेगाना करके अकेला कर लेना है, एक
सन्त की तरह अकेला, कि
राजनीति के लिए ज़रूरी हो जाए कि वह बारबार अपनी प्रामाणिकता और सचाई के लिए
साहित्य से भाषा माँगे न कि साहित्य ही राजनीति की भाषा बनकर अपनी पहचान खो दे ।
(क)
प्रस्तुत गद्य का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। 5
(ख)
राजनीति की भाषा का लक्ष्य क्या होता है ? 5
(ग)
उपर्युक्त गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए । 20
2. भारत
में अपना समाजशास्त्र रचने की आवश्यकता है। पश्चिम का समाजशास्त्र जिस
मानव-केन्द्रित सामाजिकता और उसकी आधारभूत समता की बात करता है, वह
किंचित् अपर्याप्त है। मनुष्य तक ही जीवन सीमा नहीं है। मनुष्य जब अपने आसपास के
चर-अचर जीवन के साथ ओतप्रोत है, आसपास
की क्षति से जब उसकी भी क्षति होती है, तो उसका दायित्व तो
बढ़ जाता है। यह सही है कि जिस प्रकार की तर्क-प्रज्ञा मनुष्य को प्राप्त है, वह
अन्य प्राणी को नहीं; पर
उस अन्य को भी कुछ ऐसा प्राप्त है, जो
मनुष्य को नहीं और उस अप्राप्त के प्रति मनुष्य को श्रद्धा होनी चाहिए। हमारा
संगठन उनकी सत्ता को नकारकर या हेय मानकर होगा; जैसा
पिछले तीन सौ वर्षों से हुआ है, तो
यह जितनी उनकी क्षति करेगा उससे अधिक मनुष्य की क्षति होगी, यह
बात तो अब प्रमाणित हो चुकी है। इसलिए समाजशास्त्र की मानव-केन्द्रित दृष्टि का
ध्यान सर्वभूतहित पर जाना चाहिए। दूसरी बात समता की है। सम शब्द का व्युत्पत्ति से
प्राप्त अर्थ-जो सत् मात्र हो, अर्थात्
शुद्ध सत्ता हो, इसलिए
समता को अर्थात् शुद्ध समता को सर्वत्र देखना । समता इस प्रकार एकत्व है, एकत्व
बुद्धि है, बराबरी
नहीं हैं, क्योंकि
पृथकत्व के बिना बराबरी की बात ही नहीं सोची जा सकती, दो
वस्तुएँ अलग होंगी, तभी
वे बराबर या गैर-बराबर दिखेंगी, जब
एक हैं तो फिर बराबरी या गैर-बराबरी का सवाल ही नहीं उठता।
उपर्युक्त
गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
(क)
प्रस्तुत गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए। 5
(ख)
नए भारतीय समाजशास्त्र की रचना की आवश्यकता क्यों है ? 5
(ग)
उपर्युक्त गद्यांश का संक्षेपण कीजिए। 20
3. (क) अधिसूचना
किसे कहते हैं? हिन्दी
प्रदेश के न्यायालयों में हिन्दी के प्रयोग को अनिवार्य करने की एक
अधिसूचना
विधि मंत्रालय द्वारा दी गई है। उसका उपयुक्त प्रारूप तैयार कीजिए ।
(ख) परिपत्र
किसे कहते हैं? जिला
अधिकारी की ओर से जिले के सभी ग्राम प्रधानों के लिए सफाई व्यवस्था
पर
ध्यान रखने के लिए एक परिपत्र का प्रारूप तैयार कीजिए ।
4. निम्नलिखित
शब्दों के विलोम लिखिए ।
विपन्न, महत्ता, स्तुत्य, सद्भाव, विरल, शीर्ष, समष्टि, अपराधी, अवशेष, एकत्र
5. (क)
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिए ।
उद्ग्रीव, दुर्दशा, निमीलित, निश्चल, अत्यंत
(ख)
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग कीजिए ।
देव, पूज्य, कौन्तेय, पौराणिक, तन्द्रालु
6. निम्नलिखित
वाक्यांशों या पदबंधों के लिए एक-एक शब्द लिखिए ।
(1)
जो जुड़ा या मिला न हो।
(2)
अपना पेट भरने वाला ।
(3)
जिस पर विश्वास किया गया है।
(4)
जिसका रोकना कठिन हो।
(5)
तैरकर पार करने की इच्छा वाला।
7. (क)
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए।
(1)
तुम्हारे हर काम गलत होते हैं।
(2)
दंगे में कई निरपराधी व्यक्ति मारे गए।
(3)
तुम कौन गाँव में रहते हो ?
(4)
यह बात उदाहरण से स्पष्ट किया जा सकता है।
(5)
प्रेमचन्द अच्छी कहानी लिखे हैं।
(ख)
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी का संशोधन कीजिए।
अनुसुइया, वहिर्गमन, मध्यान्ह, प्रज्ज्वल, कृशांगिनी
8. निम्नलिखित
मुहावरों/लोकोक्तियों के अर्थ लिखिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
(1)
चूहे के चाम से नगाड़ा नहीं बनता ।
(2)
खूँटे के बल बछड़ा कूदे ।
(3)
दालभात में मूसरचंद ।
(4)
पराए धन पर लक्ष्मीनारायण ।
(5)
एक ही लकड़ी से सबको हाँकना ।
(6)
अधजल गगरी छलकत जाए ।
(7)
लहू के आँसू पीना ।
(8)
मीठी छुरी चलाना ।
(9)
निन्यानबे के फेर में पड़ना ।
(10)
जबान में लगाम न देना
यू.पी.पी.एस.सी
मुख्य परीक्षा-2023
सामान्य
हिन्दी
UPPSC Mains-2023, General Hindi
सामान्य
हिन्दी
GENERAL HINDI
निर्धारित
समय : तीन घंटे] [अधिकतम
अंक : 150
Time Allowed: Three Hours] [Maximum Marks: 150
उत्तर
देने से पूर्व निम्नलिखित निर्देशों को कृपया सावधानीपूर्वक पढ़ें :
(i) सभी
प्रश्न अनिवार्य हैं ।
(ii) प्रत्येक
प्रश्न के अंत में निर्धारित अंक अंकित हैं।
(iii) पत्र, प्रार्थना
पत्र या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अपना अथवा अन्य किसी का नाम, पता
(प्रश्नपत्र में दिये गये नाम, पदनाम
आदि को छोड़कर) एवं अनुक्रमांक न लिखें । आवश्यक होने पर क, ख, ग
का उल्लेख कर सकते हैं।
Please
read each of the following instructions carefully before attempting questions:
(i) All questions are compulsory.
(ii) Marks are given against each of the
question.
(iii) Do not write your or another's
name, address (excluding those name, designation etc. given in the question
paper) and roll no. with letter, application or any other question. You can
mention क, ख, ग if necessary.
1. निम्नलिखित
गद्यांश के आधार पर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
हमारा
सांसारिक जीवन एक-न-एक दिन खत्म होगा ही लेकिन हमें स्मरण रखना चाहिए कि हमारी देह
एक मशाल है जो निरंतर संसार को, समाज
को आलोकित कर उसका मार्गदर्शन कर सकती है। यानी हमारा यह जीवन निष्प्रयोजन नहीं
होना चाहिए, समाज
के लिए हमें एक कर्मठ एवं ओजस्वी जीवन का अभिलाषी होना चाहिए। हमें असहाय, निर्बलों
का संबल बनना चाहिए, हमारा
संपूर्ण सांसारिक जीवन किसी उत्तम लक्ष्य की प्राप्ति में व्यतीत होना चाहिए कि हम
इस संसार से जाएँ तो लोग हमें स्मरण कर सकें। हमारे जीवन का लक्ष्य सत्कर्म है और
सत्कर्म हमारी देह के माध्यम से ही हो सकता है। हम हमारे कार्यों को अपनी देह के
संचालन के द्वारा ही तो संपादित करते हैं। यदि हमारे कार्य इतने संकीर्ण हों, केवल
अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए हों तो फिर देह हमारे घर में जल रहे एक दीपक की तरह
ही होगी जिसके प्रकाश का लाभ केवल हमें ही मिलेगा। किंतु यदि हम लोकहित के कार्यों
में संलग्न हैं तो समझिए कि हमारी
देह एक मशाल की तरह है जिसकी रोशनी से दूसरे न केवल प्रभावित हैं बल्कि प्रेरित भी
हैं। मशाल में वह ताकत है कि दूसरों में उत्साह भर कर अन्य मशालों को आमंत्रित कर
सकती है और अन्याय-उत्पीड़न रूपी अंधकार में विरोध का, आजादी
का, नये
परिवर्तन का प्रकाश फैला सकती है।
(क)
उपरि लिखित गद्य का आशय अपने शब्दों में लिखिए । 5
(ख) 'जीवन
निष्प्रयोजन नहीं होना चाहिए' से
क्या अभिप्रेत है ? 5
(ग)
गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए। 20
2. नैतिकता
हमारे लिए सामाजिक मानदंड उपस्थित करती है क्योंकि यह उचित और अनुचित का ज्ञान
कराती है। नैतिक नियमों में चरित्र निर्माण की महत्ता पर जोर दिया जाता है और
उन्हें माननेवाले कर्तव्य की भावना से प्रेरित होकर व्यवहार करते हैं। नैतिकता महज
इसलिए नहीं मानी जाती कि पूर्वज भी ऐसा मानते आए हैं, बल्कि
वह इसलिए मानी जाती है क्योंकि इसके पीछे न्याय, पवित्रता, औचित्य
व दृढ़ता होती है। नैतिकता आत्म-चेतना से प्रेरित होती है। रूढ़ियाँ तो तर्कपूर्ण
नहीं होती, किंतु
नैतिकता का आधार मनुष्य के जीवन-मूल्य होते हैं जिनके अनुसार वे तर्कों का निर्माण
कर लेते हैं। नैतिकता रूढ़ियों व जनरीतियों की अपेक्षा स्थायित्व लिए रहती हैं।
नैतिकता का एक और अर्थ हो सकता है, जिसका
संबंध एक समूह-विशिष्ट से होता है, जैसे, डॉक्टरों
की नैतिकता, प्राध्यापकों
की नैतिकता आदि। यह आचारशास्त्र के निकट है। धर्म अक्सर नैतिक सिद्धांतों का
समर्थन करता है। नैतिक सिद्धांतों का परिपालन धर्म के भय के कारण होता है, क्योंकि
बहुत से नीति-नियमों की उत्पत्ति धर्म से बतलायी गयी है। भारत में कर्म, पुनर्जन्म
एवं स्वर्ग-नरक की अवधारणाएँ धर्म द्वारा प्रतिपादित हैं। ये अवधारणाएँ
सुव्यवस्थित सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में सहायक होती हैं। यदि व्यक्ति नैतिकता
का पालन नहीं करता है तो उसको अपराधी माना जाता है, जबकि
धर्म का पालन न करने पर वह पाप का भागी बनता है। आवश्यक नहीं कि सभी प्रकार के
नैतिक व्यवहारों की प्रकृति धार्मिक हो ।
उपर्युक्त
गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
(क)
गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए । 5
(ख)
धर्म और नैतिकता का संबंध स्पष्ट कीजिए । 5
(ग)
गद्यांश का संक्षेपण (लगभग एक तिहाई शब्दों में) कीजिए । 20
3. (क)
जिला कलेक्टर की ओर से मंडल आयुक्त को एक पत्र लिखिए। इस पत्र में राज्य सरकार
द्वारा घोषित
'स्वच्छता-सप्ताह' के
दौरान जिले में किये गये विविध कार्यों का विवरण हो। 10
(ख)
जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से एक आदेश जारी कीजिए। जिसमें श्री राम सिंह, व्याख्याता, 10
गणित, उच्च
माध्यमिक विद्यालय 'क' नगर
को उच्च माध्यमिक विद्यालय,
'ख' नगर
में तत्काल प्रभाव से दो माह की प्रतिनियुक्ति हेतु आदेशित किया गया हो। 10
4. निम्नलिखित
शब्दों के विलोम लिखिए ।
मसृण, त्याज्य, उद्धत, ज्ञेय, पाच्य, प्रखर, धृष्ट, संघटन, अभिज्ञ, अनिवार्य 10
5. (क)
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिए ।
पर्यटन, प्रतीक्षा, अन्वेषण, निरूपण, अध्यक्ष
(ख)
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को पृथक् कीजिए ।
वैष्णव, ग्रामीण, वाणिज्य, गड़रिया, कौन्तेय
6. निम्नलिखित
वाक्यांशों या पदबंधों के लिए एक-एक शब्द लिखिए ।
(1) अनिश्चित
जीविका ।
(2) बच्चों
से लेकर बूढ़ों तक।
(3) चार
अंगों वाली सेना ।
(4) पेट
की आग।
(5) दूसरों
के दोष निकालने की जिसकी प्रवृत्ति हो ।
7. (क)
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए ।
(1) जीवन
और साहित्य का घोर संबंध है।
(2) इतने
में हल्की सी हवा का झोंका आया ।
(3) जंगली
फल और झरनों का पानी पीकर हम आगे बढ़े ।
(4) सीता
ने माला गूँध ली।
(5) उसने
अपने पाँव से जूता निकाला ।
(ख)
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए ।
वाल्मीकी, अन्ताक्षरी, संग्रहीत, हष्ट
पुष्ट, धुरंदर
8. निम्नलिखित
मुहावरों/लोकोक्तियों का अर्थ लिखिए और उनका वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग कीजिए
कि अर्थ स्पष्ट हो जाये । 10+20=30
(1)
बिल्ली के गले में घंटी बाँधना ।
(2)
कुएँ में भाँग पड़ना ।
(3)
उड़ती चिड़िया के पंख गिनना ।
(4)
बहती गंगा में हाथ धोना ।
(5)
डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना ।
(6)
दमड़ी की हाँड़ी गई कुत्ते की जात पहचानी गई।
(7)
नाच न जाने आँगन टेढ़ा ।
(8)
थोथा चना बाजे घना ।
(9)
छबूँदर के सिर में चमेली का तेल ।
(10)
जहाँ देखे तवा परात वहीं गुजारे सारी रात ।
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