भूगोल
एस्ट्रोनॉमी ----- अन्तरिक्ष का अध्ययन
ब्रहमांड- में तारे के पास अपनी उष्मा अपना प्रकाश होता है|
तारे का जीवन चक्र
· तारे का निर्माण, तारे की मृत्यु
Ø तारा- तारा बनने से पहले वह गेंसो का गोला होता है निहारिका के रूप में रहता है , नाभिकीय संलयन के कारण वह तारा बन जाता है| जिसमें H2 का संलयन He गेंस में होता है, बहुत ज्यादा मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिसका तापमान 6००० डिग्री तक हो जाता है जिसके कारण यह प्लाजमा की अवस्था में बदल जाता है|
Ø तारे का रंग-पृष्ठ तापमान पर निर्भर करता है, तारे में कम तापमान लाल उससे ज्यादा सफ़ेद, सबसे ज्यादा तापमान में यह नीला चमकता है| मानव विखंडन को कण्ट्रोल कर सकता है किन्तु संलयन को नहीं|
Ø तारे के अंदर ऊष्मा के रूप में हीलियम होता है, तारे का आकार बड़े होने का अर्थ होता है उष्मा खतम हो रही है| लाल दानव में तारा बड़ा हो जाता है| अंत प्रत्येक तारा लाल दानव बनता है| जब तारा चमकना कम कर देता है तब उसे श्वेत तारा कहते हैं, जिसे जीवाश्म तारा भी कहते हैं| जब चमकना बंद कर देता है तब वह काला वामन वन जाता है|
Ø अभिनव तारा या विस्फोटक तारा-(Supernova) यह आकार में बड़ा तारा होता है|
Ø NUTRAON पल्सर तारा होता है, साथ में चुम्बकीय तारा होता इसके बाद वह ब्लैक होल बदल जाता है, ब्रहमांड में सबसे ज्यादा घनत्व ब्लैक होल का होता है|
नोट- लाबा भी प्लाज्मा अवस्था में रहता है|
चन्द्र शेखर सीमा
S- चन्द्रसेखर सीमा (सूर्य*1.४४)— यदि सूर्य के द्रब्यमान 1.44 से कम होता है तो स्वेत तारा बन जाता है जिसे जीवाश्म तारा भी कहते हैं, और यदि इससे अधिक हो तो ब्लैक होल में बदल जाता है, जो (neutron) तारा होता है |
आकाश गंगा
टोटल आकाशगंगा १०० अरब एक आकाश गंगा में लगभग १००० हजार अरब तारे होते है|
1. मंदाकिनी-MILKEYWAY—जिसमें हमारा सूर्य इसका चक्कर लगा रहा है| २५०/sec की स्पीड से चक्कर लगता है एक चक्कर लगाने में 25 करोड़ साल लगते हैं| सूर्य का सबसे करीबी तारा प्रोक्सिमा सेंचुरी है|
2. मिल्की वे (आकाशगंगा): एक विस्तृत विवरण
3. आपने बिल्कुल सही कहा है कि हमारी मिल्की वे आकाशगंगा एक विशाल तारों का समूह है जिसमें हमारा सूर्य भी शामिल है। आइए इस विषय पर और गहराई से चर्चा करें।
4. मिल्की वे के बारे में कुछ रोचक तथ्य
5. अकार: मिल्की वे एक सर्पिल आकाशगंगा है जो एक विशाल चक्र जैसी दिखती है। इसका व्यास लगभग 100,000 प्रकाश वर्ष है।
6. सूर्य का चक्कर: हमारा सूर्य इस आकाशगंगा के केंद्र के चारों ओर लगभग 250 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से घूम रहा है। एक चक्कर पूरा करने में सूर्य को लगभग 25 करोड़ साल लगते हैं।
7. तारों की संख्या: मिल्की वे में अरबों तारे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसमें 100 से 400 अरब तारे हो सकते हैं।
8. सूर्य का निकटतम तारा: सूर्य के सबसे निकट का तारा प्रॉक्सिमा सेंचुरी है जो कि अल्फा सेंटॉरी तारा तंत्र का हिस्सा है।
9. मिल्की वे की संरचना
10. मिल्की वे में कई भाग होते हैं:
11. केंद्र: मिल्की वे के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है।
12. डिस्क: डिस्क में सर्पिल भुजाएँ होती हैं जिनमें अधिकांश तारे, गैस और धूल स्थित होते हैं।
13. हलो: हलो एक गोलाकार क्षेत्र है जिसमें पुराने तारे और ग्लोब्युलर क्लस्टर होते हैं।
Milky Way galaxy structure
14. मिल्की वे का महत्व
15. हमारा घर: हमारा सौर मंडल मिल्की वे का ही एक हिस्सा है।
16. ब्रह्मांड की समझ: मिल्की वे का अध्ययन हमें ब्रह्मांड के बारे में बेहतर समझने में मदद करता है।
17. अन्य आकाशगंगाओं की तुलना: मिल्की वे का अध्ययन हमें अन्य आकाशगंगाओं की तुलना करने में मदद करता है।
18. कुछ रोचक तथ्य
19. मिल्की वे आकाशगंगा में हमारी आकाशगंगा के अलावा भी कई छोटी आकाशगंगाएँ हैं जो मिल्की वे की परिक्रमा करती हैं।
20. मिल्की वे में कई सुपरनोवा विस्फोट होते हैं जो नए तारों और ग्रहों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
21. मिल्की वे लगातार बदल रही है। तारे बन रहे हैं और मर रहे हैं, और आकाशगंगा का आकार भी बदल रहा है।
22. क्या आप मिल्की वे के बारे में और जानना चाहते हैं?
23. मैं आपको मिल्की वे के बारे में और अधिक जानकारी प्रदान कर सकता हूं, जैसे कि:
24. मिल्की वे का इतिहास
25. मिल्की वे का भविष्य
26. मिल्की वे में जीवन की संभावना
27. और भी बहुत कुछ
28. बस मुझे बताएं कि आप क्या जानना चाहते हैं।
29. आकाश गंगा के केंद्र को बल्ज कहते है|
30. देबयानी मंदाकिनी के सबसे करीब आकाशगंगा है|
31. तीन आकाशगंगा के ग्रुप को सुपर क्लस्टर कहते हैं|
32. नए तारे के पास ऊष्मा ज्यादा होती होती है क्यूंकि वह आकाश गंगा के किनारे पर है|
33. कई सुपर क्लस्टर मिलकर ब्रह्माण्ड का निर्माण करते हैं|
34. हमारे टोटल नक्षत्र 27 होते हैं| कुल तारा मंडल 89 होते हैं|
35. सप्त ऋषि में तारो की संख्या 7 सप्त ऋषि की संख्या 2 होती है|
36. हंटर स्टार एक 11 तारो का ग्रुप है इसके पास सबसे करीब तारा साईंरस है जो सबसे चमकीला भी होता है
37. ब्रह्माण्ड का विस्तार जरी है, जब यह रुक जायेगा तो वह सुपेर्क्रेच हो जायेगा और ब्रह्माण्ड नस्ट हो जायेगा|
38. सौरमंडल की उत्त्पति का सिद्धांत--- डबल स्टार -3 सिद्धांत को लिलिटन ने
दिया जो सफल माना गया इसमें उन्होंने तीन तारो का को समझाया एक बड़े तारे में विस्फोट हुआ जिसमें से ग्रहों का निर्माण हुआ कुछ हिस्सा ब्लैक होल बना और अपने पास के तारे को नष्ट कर दिया और बचा हमारा सूर्य जिसके गुरुत्वाकर्षण के कारण सभी ग्रह आस-पास घुमने लगे और बचा हुआ कुछ धुल के कण पत्थर शनि ग्रह के चारो और घुमने लगे |
39. किन्तु चेम्ब्र्लिन जींस के द्वारा दिया गया यह सिद्धांत बिफल रहा|
40. मोनो स्टार थ्योरी--- KAND और LAPLAKARN ने दिया जो बिफल रहा|
सूर्य
नोट: -सूर्य का सूचक तापमान होता है जो द्रव्यमान पर निर्भर करता है| इसमें सात रंग का प्रकाश होता है|
1. पहला भाग कोर होता है जिसे केंद्रीय भाग भी कहते हैं—जिसमें हाइड्रोजन (75%) का संलयन हीलियम (24) में होता है, तापमान १५ MC होता है|
2. दूसरा भाग फोटान होता है, जिसमें X-RAY और Y-RAY निकलती हैं|
3. कांवाक्टिवे जोन- हाइड्रोजन सैल से बना होता है|
4. फोटान कांवात्क्टिवे जोन को फाड़कर बहार निकलता है, जिसे हम प्रकाश कहते हैं|
5. कभी कभी कोर से प्लाज्मा बहार आजाता है जिसे सोर ज्वाला कहते हैं| 7000 डिग्री से बहार जाता है, जिसकी ऊर्जा ४००० से कम होती है वह प्लाज्मा बापस सूर्य में आजाता है जिसे सौर कलंक कहते हैं|
6. कोर से निकला प्लाज़मा पृथ्वी के पास आजाता है किन्तु सौर ज्वाला बाह्यमंडल के कारण ऊपर चला जाता है जिसे अरोरा बोरिओलिस कहते हैं और जो नीचे आता है उसे अरोरा अस्त्रोलिसीस कहते हैं| सोलोर स्पॉट साइकिल 11 साल की होती है| एक सोलोर इवेंट ११०० साल में होता है|
7. सौर ज्वाला के आन्तरिक भाग को अम्बरा जिसे मेग्नेट आर भी कहते हैं, और बहाइये भाग को पैरामबरा कहते हैं|
8. सूर्य में हीलियम 24 % और 75 % H2 बाकि सभी गेंस है |
9. पृथ्वी से सूर्य का व्यास 109 गुना, गुउर्त्वाकर्ष्ण 28 गुना घनत्व 20 गुना, मास ३३२००० गुना है|
सौरमंडल
· सौरमंडल में सूर्य के 8 गृह हैं| सूर्य का चक्कर ग्रह लगाता है और उपग्रह- ग्रह का चक्कर लगते हैं|
बुध:
1. सबसे छोटा और सूर्य के सबसे निकट: बुध सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है और सूर्य के सबसे निकट स्थित है। इसकी सतह चंद्रमा की सतह जैसी उबड़-खाबड़ है।
2. कोई वायुमंडल नहीं: बुध का कोई वायुमंडल नहीं है, जिसके कारण यहां दिन का तापमान बहुत अधिक और रात का तापमान बहुत कम होता है।
3. लौह चुंबकीय क्षेत्र: बुध का एक लौह चुंबकीय क्षेत्र है, जो वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
शुक्र:
4. सबसे गर्म ग्रह: शुक्र सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है, भले ही यह शुक्र नहीं बल्कि बुध सूर्य के सबसे निकट है। इसका घना वायुमंडल ग्रीनहाउस प्रभाव का कारण बनता है, जिससे गर्मी फंस जाती है।
5. उल्टा घूर्णन: शुक्र पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है, जो कि अन्य अधिकांश ग्रहों के विपरीत है।
6. सल्फ्यूरिक एसिड के बादल: शुक्र के वायुमंडल में सल्फ्यूरिक एसिड के बादल होते हैं।
पृथ्वी:
7. जीवन का एकमात्र ज्ञात ग्रह: पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन मौजूद है।
8. पानी: पृथ्वी की सतह का अधिकांश भाग पानी से ढका हुआ है।
9. चंद्रमा: पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा है।
मंगल:
10. लाल ग्रह: मंगल को लाल ग्रह कहा जाता है क्योंकि इसकी सतह पर लौह ऑक्साइड की अधिकता के कारण यह लाल दिखाई देता है।
11. जीवन की संभावना: वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल पर कभी जीवन रहा होगा और भविष्य में वहां जीवन हो सकता है।
12. ओलंपस मॉन्स: मंगल पर ओलंपस मॉन्स नाम का एक विशाल ज्वालामुखी है, जो सौरमंडल का सबसे ऊंचा पर्वत है।
बृहस्पति:
13. सबसे बड़ा ग्रह: बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है और मुख्य रूप से गैसों से बना है।
14. ग्रेट रेड स्पॉट: बृहस्पति पर ग्रेट रेड स्पॉट नाम का एक विशाल तूफान है जो सैकड़ों वर्षों से चल रहा है।
15. बृहस्पति के कई चंद्रमा हैं, जिनमें से गैनीमेड सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है।
शनि:
16. छल्ले: शनि अपने छल्लों के लिए प्रसिद्ध है। ये छल्ले बर्फ और चट्टान के छोटे-छोटे टुकड़ों से बने होते हैं।
17. टाइटन: शनि का सबसे बड़ा चंद्रमा टाइटन है, जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है।
18. कम घनत्व: शनि इतना कम घना है कि यदि इसे पानी में रखा जाए तो यह तैर जाएगा।
अरुण और वरुण:
19. बर्फ के विशालकाय: अरुण और वरुण को बर्फ के विशालकाय कहा जाता है क्योंकि इनमें हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन और अमोनिया जैसी बर्फ जैसी सामग्री होती है।
20. अरुण का झुकाव: अरुण अपने अक्ष पर लगभग 90 डिग्री झुका हुआ है, जिसके कारण यह अपनी तरफ घूमता हुआ प्रतीत होता है।
21. अतिरिक्त जानकारी:
22. आंतरिक और बाहरी ग्रह: बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल को आंतरिक ग्रह कहा जाता है, जबकि बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण को बाहरी ग्रह कहा जाता है।
23. कुइपर बेल्ट: नेप्च्यून के परे कुइपर बेल्ट नामक एक क्षेत्र है, जिसमें बौने ग्रह प्लूटो भी शामिल है।
निष्कर्ष:
24. सौरमंडल एक अद्भुत जगह है, जिसमें विभिन्न प्रकार के ग्रह, चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंड हैं। प्रत्येक ग्रह की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं जो इसे अन्य ग्रहों से अलग करती हैं।
25. क्या आप किसी विशेष ग्रह के बारे में और जानना चाहते हैं?
26. अरुण- बाह्य ग्रह , उल्टा घुमने वाला, पूर्व से पश्चिम, लेटा हुआ ग्रह
27. वरुण- बाह्य ग्रह
उल्का पिंट
v सिरस उल्का पिंट सबसे चमकीला होता है- उल्का पिंट से बनने वाली झील को क्रेअटर कहते हैं- यह घूर्णन गति की दिसा में कम चमकीला होता है वोलईट कहते है और जो टेकटित कहलाता है|
1. धुल के कण लाल होती है जो रेड रेन कहते हैं|
2. पृथ्वी को गर्म कर देते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं
3. का द्रव्यमान बढ़ जायेगा जिसके कारण गुर्त्वाकर्ष्ण बढ़ जाता है|
पृथ्वी के बारे में कुछ अतिरिक्त तथ्य:
पृथ्वी का वातावरण
पृथ्वी का वातावरण एक गैसीय आवरण है जो पृथ्वी को घेरता है। यह हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करता है, हमें सूर्य की हानिकारक विकिरण से बचाता है, और हमें एक स्थिर तापमान प्रदान करता है।
पृथ्वी की प्लेटें
पृथ्वी की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है जो लगातार गतिशील रहती हैं। इन प्लेटों की गति के कारण भूकंप, ज्वालामुखी और पर्वतों का निर्माण होता है।
पृथ्वी पर जीवन का विकास
पृथ्वी पर जीवन का विकास लगभग 3.8 अरब वर्ष पहले शुरू हुआ था। वैज्ञानिकों का मानना है कि जीवन का विकास समुद्र में शुरू हुआ था, जहां सूर्य की ऊर्जा और रासायनिक तत्वों ने जीवन के लिए आवश्यक अणुओं का निर्माण किया।
· पृथ्वी की जियोड आकृति: पृथ्वी की आकृति पूरी तरह से गोल नहीं है, बल्कि थोड़ी चपटी है। इसे जियोड आकृति कहा जाता है।
पृथ्वी की परतें: पृथ्वी तीन मुख्य परतों से बनी है: क्रस्ट, मेंटल और कोर।
प्लेट टेक्टोनिक्स: पृथ्वी की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है जो लगातार गतिशील रहती हैं। इन प्लेटों की गति के कारण भूकंप, ज्वालामुखी और पर्वतों का निर्माण होता है।
जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां: पृथ्वी पर जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं, जैसे कि पानी की उपस्थिति, स्थिर तापमान और वायुमंडल में ऑक्सीजन की उपस्थिति।
पृथ्वी की उम्र: वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी की उम्र लगभग 4.54 अरब वर्ष है।
टॉलमी, कोपरनिकस और केप्लर:
o टॉलमी: टॉलमी ने भूकेंद्रीय सिद्धांत दिया था, जिसके अनुसार पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है और सभी ग्रह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
o कोपरनिकस: कोपरनिकस ने सूर्यकेंद्रीय सिद्धांत दिया था, जिसके अनुसार सूर्य ब्रह्मांड का केंद्र है और सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
o केप्लर: केप्लर ने ग्रहों की गति के तीन नियम दिए थे, जिनके अनुसार ग्रह दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
https://www.merriam-webster.com/dictionary/geography#:~:text=1,3
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2
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