VIDEO देख रहे 30 लड़कों को उत्तर कोरिया की सरकार ने उतारा मौत के घाट - जिनमें अधिकतम स्टूडेंट्स नाबालिग थे ।
'चोसुन' चैनल ने बताया कि गत सप्ताह उत्तर कोरिया के कुछ स्कूली
विद्यार्थियों को दक्षिण कोरियाई टीवी शो देखने के अपराध में सार्वजनिक रूप से मौत
के घाट उतार दिया गया। यह घटना उत्तर कोरिया की कठोरता और क्रूरता की चरम सीमा को
दर्शाती है, जहां विदेशी कंटेंट देखने की सज़ा
मौत तक हो सकती है।
उत्तर
कोरिया में क्रूरता की एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां 30 बच्चों को विदेशी टीवी सीरियल देखने के अपराध में मौत के घाट उतार
दिया गया। दक्षिण कोरिया के
न्यूज़ आउटलेट्स चोसुन टीवी और कोरिया जोंगएंग डेली ने इस बारे में रिपोर्ट
प्रकाशित की है।
रिपोर्ट के अनुसार, इन बच्चों को सार्वजनिक
रूप से गोली मार दी गई क्योंकि वे दक्षिण कोरियाई ड्रामा देखते पकड़े गए थे। उत्तर
कोरिया में मीडिया प्रसारणों पर सख्ती से नियंत्रण रखा जाता है, लेकिन पायरेटेड यूएसबी
स्टिक के माध्यम से विदेशी टीवी शो तस्करी किए जाते रहे हैं।
दक्षिण कोरियाई एकीकरण
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर कोरिया में तीन कड़े कानून हैं जिनके
तहत अधिकारियों को अपने लोगों पर सख्त नियंत्रण रखने की अनुमति मिलती है। इन
कानूनों का उल्लंघन करने पर कठोर दंड दिया जाता है।
उत्तर कोरिया के
अधिकारी अपनी संस्कृति पर कड़ा नियंत्रण रखते हैं और दक्षिण कोरियाई मीडिया कंटेंट
पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। जब भी इस प्रतिबंध का उल्लंघन होता है, तो उत्तर कोरियाई
प्रशासन सख्त कार्रवाई करता है।
इस बीच, उत्तर कोरिया के बढ़ते
परमाणु खतरे के मद्देनज़र अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने पहली बार संयुक्त परमाणु
प्रतिरोध दिशानिर्देश पर हस्ताक्षर किए हैं। यह कदम उत्तर कोरिया की ओर से बढ़ते
खतरे को ध्यान में रखते हुए प्रतिरोध को सशक्त बनाने के लिए उठाया गया है। अमेरिका
ने लंबे समय से दक्षिण कोरिया की रक्षा के लिए अपनी सभी क्षमताओं का उपयोग करने का
वादा किया है, लेकिन इसे लेकर यूएस को संदेह है कि वह अपने एशियाई सहयोगी
के लिए अपनी विस्तारित निरोधात्मक कार्रवाई कैसे करेगा।
इस घटना ने उत्तर
कोरिया की कठोर नीतियों और वहां के निर्दयी शासन की एक और बानगी प्रस्तुत की है, जिससे दुनिया भर में
इसकी कड़ी निंदा हो रही है।
उत्तर कोरिया की कठोर
नीतियों और सख्त कानूनों को लेकर दुनिया भर में कई बार चर्चा होती है। यहां की
सरकार अपने नागरिकों पर बेहद सख्त नियंत्रण रखती है,
खासकर जब बात विदेशी सामग्री
देखने या सुनने की होती है।
उत्तर कोरिया के नियम
और कानून:
1. मीडिया नियंत्रण: उत्तर कोरिया में सभी मीडिया प्रसारणों पर
सरकार का सख्त नियंत्रण होता है। कोई भी विदेशी टीवी शो, फिल्म, या अन्य सामग्री देखना
गैरकानूनी है। पकड़े जाने पर कठोर सज़ा दी जाती है,
जैसा कि हाल ही में 30 बच्चों
को दक्षिण कोरियाई ड्रामा देखने पर मौत की सजा दी गई।
2. संस्कृति संरक्षण: उत्तर कोरियाई सरकार अपनी संस्कृति और
विचारधारा की सुरक्षा को सर्वोपरि मानती है। विदेशी सामग्री को उनके नागरिकों तक
पहुंचने से रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाते हैं।
3. कठोर दंड: उत्तर कोरिया में तीन प्रमुख कानून हैं जिन्हें
"बुरे कानूनों" के रूप में जाना जाता है। ये कानून सरकार को अपने
नागरिकों पर कड़ा नियंत्रण रखने और उल्लंघन करने वालों को कठोर दंड देने की अनुमति
देते हैं।
भारत की
स्थिति:
भारत एक
लोकतांत्रिक देश है जहां स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी का महत्व है। यहां की
स्थिति उत्तर कोरिया से बिल्कुल अलग है:
1. मीडिया स्वतंत्रता: भारत में मीडिया स्वतंत्रता है और लोग अपनी
पसंद की सामग्री देख सकते हैं। हालांकि, कुछ विशेष मामलों में सामग्री पर प्रतिबंध लगाया
जा सकता है, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है और वो भी कानूनी प्रक्रियाओं के
तहत।
2. संविधान और अधिकार: भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता
और अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है। यह अधिकार हर व्यक्ति को अपनी राय
व्यक्त करने और अपनी पसंद की सामग्री देखने की स्वतंत्रता देता है।
3. कानूनी प्रणाली: भारत में कानून पारदर्शी और लोकतांत्रिक
प्रक्रियाओं के तहत बनाए जाते हैं। किसी भी कानून के उल्लंघन पर दंड दिया जाता है, लेकिन यह दंड उचित
कानूनी प्रक्रिया के बाद ही होता है।
सारांश:
उत्तर कोरिया में सख्त
और कठोर नीतियां हैं जो उसके नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बुरी तरह सीमित
करती हैं। इसके विपरीत, भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां नागरिकों को
स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी है। उत्तर कोरिया की नीतियां और नियम सख्ती और
नियंत्रण पर आधारित हैं, जबकि भारत की कानूनी प्रणाली स्वतंत्रता और
अधिकारों के संरक्षण पर आधारित है।
इस प्रकार, भारत की स्थिति उत्तर
कोरिया से कहीं अधिक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक है,
जो अपने नागरिकों को उनके
अधिकारों और स्वतंत्रता का सम्मान करता है।
उत्तर कोरिया की सरकार
ने विभिन्न देशों के कंटेंट पर रोक लगा रखी है। यह प्रतिबंध उसकी सख्त विचारधारा, सांस्कृतिक संरक्षण और
नियंत्रण की नीति के तहत लागू किए गए हैं। विशेष रूप से जिन देशों के कंटेंट पर
प्रतिबंध है, वे निम्नलिखित हैं:
1.
दक्षिण कोरिया (South Korea):
रोक का कारण:
·
संस्कृति
और विचारधारा: उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच राजनीतिक और वैचारिक मतभेद
हैं। दक्षिण कोरियाई कंटेंट को उत्तर कोरिया अपनी विचारधारा के विपरीत मानता है।
·
प्रचार:
दक्षिण कोरियाई मीडिया में उत्तर कोरिया के शासन की आलोचना होती है और दक्षिण
कोरियाई जीवनशैली को उत्तर कोरियाई जनता तक पहुंचने से रोकने के लिए यह प्रतिबंध
लगाया गया है।
·
सामाजिक
अस्थिरता: उत्तर कोरियाई शासन को डर है कि दक्षिण कोरियाई कंटेंट देखने से उनके
नागरिकों में असंतोष और विद्रोह की भावना उत्पन्न हो सकती है।
2.
अमेरिका (United States):
रोक का कारण:
·
राजनीतिक
दुश्मनी: उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध हैं।
अमेरिकी मीडिया और संस्कृति को उत्तर कोरिया अपने शासन के लिए खतरा मानता है।
·
सांस्कृतिक
प्रभुत्व: अमेरिकी कंटेंट उत्तर कोरियाई संस्कृति और विचारधारा को प्रभावित कर
सकता है। यह पश्चिमी जीवनशैली को बढ़ावा देता है,
जिसे उत्तर कोरिया अपनी
विचारधारा के विपरीत मानता है।
3.
जापान (Japan):
रोक का कारण:
इतिहासिक दुश्मनी:
उत्तर कोरिया और जापान के बीच ऐतिहासिक और राजनीतिक दुश्मनी है। जापानी उपनिवेशवाद
के दौरान किए गए अत्याचारों की वजह से उत्तर कोरिया में जापान के प्रति नफरत है।
सांस्कृतिक प्रभाव:
जापानी कंटेंट का प्रतिबंध भी उत्तर कोरियाई संस्कृति और विचारधारा को संरक्षित
करने के प्रयास का हिस्सा है।
4.
अन्य पश्चिमी देश (Other Western
Countries):
रोक का कारण:
सांस्कृतिक प्रभुत्व: पश्चिमी देशों के मीडिया कंटेंट उत्तर कोरिया
की विचारधारा और संस्कृति को प्रभावित कर सकते हैं।
राजनीतिक और सामाजिक
मूल्य: पश्चिमी देशों में स्वतंत्रता, मानवाधिकार, और लोकतंत्र के मूल्य होते हैं, जो उत्तर कोरियाई शासन
की विचारधारा से मेल नहीं खाते।
निष्कर्ष:
उत्तर कोरिया ने इन
देशों के कंटेंट पर रोक इसलिए लगाई है क्योंकि वह अपनी सांस्कृतिक और वैचारिक
पहचान को बनाए रखना चाहता है। इसके अलावा, इन कंटेंट्स से उत्पन्न होने वाले संभावित
राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता के खतरे को भी वह कम करना चाहता है। उत्तर कोरियाई
शासन अपने नागरिकों को बाहरी दुनिया से अलग-थलग रखकर अपने नियंत्रण और प्रभुत्व को
बनाए रखने का प्रयास करता है।
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