प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना
(Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana— PMBJP)
वर्तमान संदर्भ
भारत
की सस्ती जेनेरिक दवा योजना (प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना)
ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1,236 करोड़ रुपये (162 मिलियन डॉलर)
की बिक्री हासिल की, जो
साल-दर-साल 38 प्रतिशत बढ़
रही है।
विवरण
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केंद्र
सरकार मरीजों पर आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च को कम करने के लिए कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं पर जोर दे रही है।
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सरकार
ने 1,800 जीवन रक्षक दवाओं और 285 सर्जिकल, न्यूट्रास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों वाले उत्पादों के
साथ 9,300 जनऔषधि केंद्रों का
संचालन किया है जो ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50-90 प्रतिशत सस्ते
होते हैं।
PMBJP
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PMBJP नवंबर 2008 में फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा जनता को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने के लिए शुरू किया गया एक अभियान है।
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PMBJP स्टोर जेनेरिक दवाएं, जो कम कीमत पर उपलब्ध हैं, लेकिन महंगी ब्रांडेड दवाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता के बराबर हैं उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए गए हैं ।
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फार्मास्युटिकल
एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) पीएमबीजेपी के लिए कार्यान्वयन
एजेंसी है।
PMBJP की मुख्य विशेषताएं
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जनऔषधि
दवाओं
की कीमतें खुले बाजार में ब्रांडेड दवाओं की कीमतों की तुलना में 50 प्रतिशत-90 प्रतिशत कम हैं।
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उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित
करने के लिए केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन-गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज
(WHO-GMP) प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से दवाएं खरीदी जाती हैं।
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सर्वोत्तम गुणवत्ता सुनिश्चित करने
के लिए "नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज"
(NABL) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में दवा के प्रत्येक बैच का
परीक्षण किया जाता है।
PMBJP
का प्रभाव
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इस योजना ने आम जनता को सस्ती कीमत
पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराई हैं।
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केंद्रों
की संख्या बढ़कर 8,800 से अधिक हो गई है और सभी जिलों को शामिल कर
लिया गया है।
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यह योजना स्थायी और नियमित कमाई
के साथ स्वरोजगार के अच्छे स्रोत भी प्रदान कर रही है।
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यह योजना
अपनी टैगलाइन "जनऔषधि -
सेवा
भी,
रोज़गार
भी” के
साथ न्याय कर रही है।
PMBJP
के लिए चुनौती
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आपूर्ति चुनौतियां :
ü सूची प्रबंधन- डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी दवाएं केंद्र में उपलब्ध होनी चाहिए। लेकिन जनऔषधि केन्द्र (JAKs) को आपूर्ति के लिए मौजूदा खरीद और वितरण प्रणाली की वजह से सूची अपूर्ण रहती है।
ü गुणवत्ता मानकों का रखरखाव - औषधि के 'मानक गुणवत्ता की नहीं' होने के कारण जनऔषधि
केन्द्र को दवाओं की खरीद और आपूर्ति करने वाले ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूज ऑफ
इंडिया (BPPI) ने
दवाओं की आपूर्ति करने वाली 18 कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।
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मांग चुनौतियां :
ü लक्षित मरीज के
मन में गुणवत्ता की धारणा सुनिश्चित करते हुए मांग वृद्धि के
लिए कुछ केन्द्रों का
अवलोकन करना
और उनसे बातचीत करना सबसे बड़ी चुनौती है।
ü एक
गरीब मरीज भी ऐसी दवा नहीं लेना चाहेगा जो 'मानक गुणवत्ता' वाली न हो।
ü जेनेरिक
दवाओं की बेहद कम कीमत मरीजों के मन में उनकी गुणवत्ता को लेकर संदेह पैदा करती है।
आगे की राह
वर्ष 2022 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान (NHAE)
की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग में एक मजबूत विकास पथ देखा जा रहा है, जहां प्रति व्यक्ति खर्च 4,470 रुपये (सबसे
अधिक) रहा है। सरकार की प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना अभियान आदर्श रूप से एक निर्बाध सफलता
होनी
चाहिए।
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