सोमवार, 22 जुलाई 2024

ग्रेट निकोबार द्वीप की मेगा परियोजना के लिए दी गई पर्यावरणीय मंजूरी की पुनः जांच हेतु पैनल का गठन (Panel Constituted to Re-examine Environmental Clearance Granted for Great Nicobar Island Mega Project)

 ग्रेट निकोबार द्वीप की मेगा परियोजना के लिए दी गई पर्यावरणीय मंजूरी की पुनः जांच हेतु पैनल का गठन

(Panel Constituted to Re-examine Environmental Clearance Granted for Great Nicobar Island Mega Project)

वर्तमान संदर्भ

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने ग्रेट निकोबार द्वीप समूह में बहु-घटक मेगा परियोजना के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम (Andaman And Nicobar Islands Integrated Development CorporationANIDCO) को दी गई पर्यावरणीय मंजूरी की फिर से जांच करने हेतु एक समिति का गठन किया है।

संदर्भ का विवरण

·         हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ग्रेट निकोबार द्वीप में विकास परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी दी है।

·         द्वीप तटीय विनियमन क्षेत्र (Island Coastal Regulation ZoneICRZ) की वर्ष 2019 की अधिसूचना का अनुपालन करना था और जनजातीय अधिकारों और पुनर्वास को सुनिश्चित करना था।

ग्रेट निकोबार द्वीप की अवस्थिति

·         अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी अंतिम समूह ग्रेट निकोबार द्वीप (GNI), द्वीपों के क्षेत्र का सबसे बड़ा भाग है और यह लगभग 910 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है।

·         इंदिरा पॉइंट, जिसे पहले पैग्मेलियन पॉइंट के नाम से जाना जाता था, ग्रेट निकोबार द्वीप के सिरे पर स्थित है और देश का सबसे दक्षिणी बिंदु है।

·         इस द्वीप में दो राष्ट्रीय उद्यान, एक बायोस्फीयर रिज़र्व शामिल है और यह शोम्पेन और निकोबारी जनजातियों का घर है।

निवासी

·         ग्रेट निकोबार द्वीप में दो मंगोलायड जनजातियां शोम्पेन और निकोबारी निवास करती हैं, जिनकी आबादी क्रमश: 237 और 1094 है।

·         शोम्पेन शिकारी स्वभाव के होते हैं और जीविका के लिए जंगल और समुद्री संसाधनों पर निर्भर रहते हैं।

·         द्वीप के पश्चिमी तट पर रहने वाले निकोबारियों को वर्ष 2004 की सुनामी के बाद पुनर्वासि कर दिया गया था।

·         इस द्वीप में 8000 पूर्व सैनिक भी हैं जिन्हें 1970 के दशक के दौरान भारत सरकार द्वारा यहां बसाया गया था।

योजना

·         GNI परियोजना वास्तव में, चार 'इंटरलिंक्ड' परियोजनाएं हैं जो मिलकर ग्रेट निकोबार में नए ग्रीनफील्ड शहर का निर्माण करते हैं।

·         चार परियोजनाओं में इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल (ICTT), ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट, एक बिजली संयंत्र और एक टाउनशिप शामिल हैं।

चार आपस में जुड़ी परियोजनाओं की अवस्थिति

·         नीति आयोग द्वारा परिकल्पित एक विज़न प्लान के तहत इस परियोजना का नेतृत्व अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) द्वारा किया जा रहा है

·         GNI के विकास के पीछे का विचार अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्ग पर होने के स्थानीय हित को साधने और व्यापार और मनोरंजन के लिए GNI को एक स्थायी, हरित, वैश्विक गंतव्य के रूप में विकसित करने पर आधारित है।

अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल (ICTT)

·         प्रस्तावित बंदरगाह कार्गो क्षमता के 14.2 मिलियन ट्वेंटी-फुट एक्विवैलेन्ट यूनिट्स (TEUs) का संचालन करेगा।

·         यह माल-पार नौवहन (cargo trans-shipment) में एक प्रमुख स्थल बनकर ग्रेट निकोबार को क्षेत्रीय और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भाग लेने की सुविधा देगा।

·         ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल का विकास भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के पूर्वी तट से सटे बंदरगाहों (क्योंकि वे ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल के लिए प्राथमिक जलग्रहण क्षेत्र बनाते हैं) के मौजूदा यातायात को आकर्षित करेगा।

ग्रीनफील्ड अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा

·         प्रस्तावित ग्रेट निकोबार द्वीप अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (Great Nicobar Island International AirportGNIIA) को ग्रेट निकोबार द्वीप समूह में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाएगा।

·         भारतीय नौसेना के परिचालन नियंत्रण के तहत हवाई अड्डे को "संयुक्त सैन्य-नागरिक, दोहरे उपयोग वाले हवाई अड्डे" के रूप में विकसित किया जाएगा और साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।

बिजली संयंत्र

·         इस परियोजना में ICTT के निकट नए शहर के उपयोग हेतु पर्याप्त विद्युत का उत्पादन करने की क्षमता वाले बिजली संयंत्र के विकास का प्रस्ताव किया गया है।

·         परियोजना के लिए बिजली उत्पादन योजना के शुरुआती दिनों में सौर संयंत्र, गैस आधारित संयंत्र और कुछ डीजल उत्पादन केन्द्रों की परिकल्पना की गई है।

·         योजना में लगभग 10 प्रतिशत सौर पैनलों के माध्यम से और शेष गैस आधारित व्यवस्था शामिल हैं।

टाउनशिप

·         इस परियोजना में एक मिश्रित उपयोग विकास क्षेत्र शामिल है जो नए शहर के भौतिक ढांचे को पूरा करने के लिए बुनियादी सुविधाओं को जोड़ेगा।

·         यह वाणिज्यिक, औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रों से बना होगा, लेकिन भूमि का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न प्रकार की पर्यटन परियोजनाओं और गतिविधियों के लिए अलग रखा जाएगा।

समय-सीमा

·         इस द्वीप का ज्यादातर हिस्सा जंगलों से आच्छादित है, अब तक यहां बड़े पैमाने पर मानव गतिविधि नहीं देखी गई है।

·         परियोजना को अगले 30 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना है।

·         प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि पहला चरण 2036 (2021 से) तक विस्तारित होगा, और दूसरा चरण 2037 से 2051 तक विस्तृत होगा, लेकिन कंटेनर टर्मिनल 2027-28 के आसपास चालू हो जाएगा।

परियोजना का महत्व

·         राष्ट्रीय सुरक्षा : ग्रेट निकोबार को विकसित करने का प्रस्ताव पहली बार 1970 के दशक में लाया गया था और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा हिंद महासागर क्षेत्र के समेकन के लिए इसके महत्व को बार-बार रेखांकित किया गया है।

·         आर्थिक और सामरिक महत्व : इस द्वीप में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन सरकार का बड़ा लक्ष्य आर्थिक और रणनीतिक कारणों से द्वीप के स्थानीय सुविधा का लाभ उठाना है।

·         अवस्थिति : ग्रेट निकोबार कोलंबो से दक्षिण-पश्चिम और पोर्ट क्लैंग और सिंगापुर से दक्षिण-पूर्व में समान दूरी पर है। यह पूर्व-पश्चिम अंतरराष्ट्रीय नौवहन क्षेत्र के करीब स्थित है, जिससे होकर दुनिया के नौवहन व्यापार का एक बहुत बड़ा हिस्सा गुजरता है।

·         कार्गो ट्रांस-शिपमेंट : प्रस्तावित इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल (ICTT) संभावित रूप से इस मार्ग पर यात्रा करने वाले कार्गो जहाजों के लिए एक केंद्र बन सकता है। प्रस्तावित बंदरगाह ग्रेट निकोबार को माल पोतांतरण (cargo transshipment) में एक प्रमुख शक्ति बनकर क्षेत्रीय और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भाग लेने की सुविधा देगा।

परियोजना के लिए चिंताएं

·         जनजातीय अधिकारों की अनदेखी : मुख्य चिंता उन दो आदिवासी समुदायों [(निकोबारीलगभग 1,000 लोग) और शोम्पेनलगभग 200लोग)] के अधिकारों और आजीविका के बारे में है जिनके लिए ग्रेट निकोबार हजारों वर्षों से घर रहा है। शोम्पेन को एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में वर्गीकृत किया गया है और यह एक शिकारी-खानाबदोश समुदाय है जो जीवित रहने के लिए द्वीप के जंगलों पर ही निर्भर रहता है।

·         आपदा अरक्षितता : ग्रेट निकोबार इंडोनेशिया के बांदा अचेह से ज्यादा दूर नहीं है, जो दिसंबर 2004 के भूकंप और सूनामी का केंद्र था जिसने अभूतपूर्व क्षति पहुंचाई थी। जिसमें ग्रेट निकोबार की तटरेखा में लगभग चार मीटर का स्थायी धंसाव देखा गया, जैसा कि इस तथ्य से स्पष्ट है कि इंदिरा प्वाइंट पर प्रकाश स्तंभ अब पानी से घिर गया है।

·         एक महत्वपूर्ण मोड़ : दिसंबर 2004 के भूकंप और सूनामी के बाद इसकी दूसरी बार राष्ट्रीय सुर्खियां और प्राइम टाइम न्यूज में चर्चा हई थी

आगे की राह

·         अंडमान और निकोबार में बुनियादी ढांचे और विकास की पहल भारत की समुद्री और सामरिक क्षमताओं में मदद करेगी, लेकिन ऐसी पहलों से पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण से कोई समझौता नहीं होना चाहिए।

·         सतत कार्य करते रहने की जरूरत है।

·         यहां सभी विकास गतिविधियों के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental Impact AssessmentEIA) जरूरी है।

 

 

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