LIGO-इंडिया परियोजना
(LIGO-India project)
वर्तमान संदर्भ
केंद्रीय
मंत्रिमंडल ने 2,600 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से महाराष्ट्र में एक उन्नत गुरुत्वाकर्षण-तरंग संसूचक (Advanced Gravitational-Wave Detector) बनाने
की परियोजना को मंजूरी दी। इसके वर्ष 2030
तक पूरा होने की उम्मीद है।
विवरण
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यह वेधशाला
विश्व में अपनी तरह की तीसरी वेधशाला होगी, जो अमेरिका के लुइसियाना और वाशिंगटन में ट्विन लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरीज (Laser Interferometer Gravitational-wave Observatories—LIGO) के
सटीक विनिर्देशों के अनुरूप होगी। LIGO-इंडिया
उनके साथ मिलकर काम करेगा।
·
यह
परियोजना अमेरिकी वेधशालाओं और भारतीय
अनुसंधान संस्थानों के एक संघ के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बीच एक सहयोग है।
लेजर इंटरफेरोमीटर
ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरीज (LIGO)
·
इसे आइंस्टीन के सापेक्षता के
सामान्य सिद्धांत द्वारा भविष्यवाणी की गई गुरुत्वाकर्षण तरंगों की प्रत्यक्ष पहचान
के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण-तरंग खगोल भौतिकी के क्षेत्र को खोलने के लिए डिज़ाइन किया
गया था।
·
LIGO
के मल्टी किलोमीटर स्केल गुरुत्वाकर्षण-तरंग संसूचक प्रलयकारी ब्रह्मांडीय घटनाओं जैसे न्यूट्रॉन सितारों या ब्लैक होल के टकराने जैसी प्रलयकारी लौकिक घटनाओं से या सुपरनोवा द्वारा गुजरने वाले गुरुत्वाकर्षण
तरंगों की वजह से अंतरिक्ष-समय में होने वाली मिनट तरंगों
को
मापने
के
लिए
इसका उपयोग करते हैं।
·
LIGO
में संयुक्त राज्य अमेरिका के भीतर दो व्यापक रूप से अलग-अलग इंटरफेरोमीटर होते हैं (एक हैनफोर्ड, वाशिंगटन में और दूसरा लिविंगस्टन, लुइसियाना में), जो
गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने के लिए एक साथ संचालित होता है।
·
आरंभिक
LIGO
परियोजना
वर्ष 2010
में
समाप्त
हो
गई
थी
और योजना के अनुसार वर्ष 2010 और वर्ष 2014 के बीच दोनों इंटरफेरोमीटरों को अधिक परिष्कृत इंजीनियरिंग को शामिल करने के लिए पूरी तरह से फेरबदल किया
गया था।
·
"उन्नत LIGO" परियोजना ने संसूचकों की
क्षमताओं में सफलतापूर्वक सुधार किया है तथा नए और बेहतर उपकरणों को चालू करने के कुछ दिनों के भीतर LIGO ने वर्ष 2015 में गुरुत्वाकर्षण तरंगों का अपना पहला संसूचन किया,
जो लगभग 1.3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर टकराने वाले ब्लैक होल की एक जोड़ी से उत्पन्न हुआ था।
·
दो
साल बाद सदी पुराने सिद्धांत के इस प्रायोगिक सत्यापन को वर्ष 2017 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
LIGO-भारत
परियोजना
·
LIGO-इंडिया एक उन्नत परियोजना
है, जो गुरुत्वाकर्षण तरंग वेधशाला प्रणाली वैश्विक
विस्तार योजना का हिस्सा है, ताकि अवलोकन योग्य ब्रह्मांड में
कहीं से भी इन तरंगों का पता लगाने की संभावना बढ़ सके और उनसे प्राप्त जानकारी की
सटीकता और गुणवत्ता में सुधार हो सके।
·
यह
परियोजना मुंबई
से
लगभग
450 किमी
पूर्व
में
महाराष्ट्र
के
हिंगोली
जिले
में स्थित होगा, जो वर्ष
2030
से अपने वैज्ञानिक कार्य़ शुरू
करने के लिए निर्धारित है।
·
अब
तक कम से कम 10 घटनाएं ऐसी हैं, जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाया है।
अमेरिका
के
अलावा
इस तरह की गुरुत्वीय तरंग वेधशालाएं वर्तमान में यूरोप और जापान में काम कर रही हैं।
LIGO-इंडिया नियोजित प्रणाली का
पांचवां
और
संभवत:
अंतिम
होगा।
LIGO-इंडिया परियोजना का महत्व
·
यह
वैश्विक विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों को अग्रिम स्थान दिलाएगा।
·
यह
छात्रों और युवा वैज्ञानिकों की रुचि और प्रेरणा के लिए एक स्थानीय केन्द के
रूप में काम करेगा।
·
यह
वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए गुरुत्वाकर्षण तरंग के दायरे में गहराई तक जाने और इस नई खगोलीय सीमा में वैश्विक नेतृत्वकर्ता
बनने के
लिए अभूतपूर्व अवसर लाएगा।
यह
भारतीय उद्योग के लिए अत्याधुनिक तकनीक में भी काफी अवसर लाएगा, जो समतल भूभाग पर अल्ट्रा-हाई वैक्यूम पर आठ किलोमीटर लंबी बीम ट्यूब के निर्माण में लगा होगा।
निष्कर्ष
LIGO
एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि भारत ने कभी भी अपनी धरती पर ऐसे बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक वैज्ञानिक सुविधा का निर्माण नहीं किया है तथा
LIGO देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए बड़े पैमाने पर लाभकारी
साबित हो
सकता है।
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