शनिवार, 7 दिसंबर 2024

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस


 

civil service day


गुलामी की जंजीर में बंधा अपना भारत जो अपने पास सब कुछ होते हुए भी उन लोगों की गिरफ्त में आ गया जिनके मनसूबे नेक नहीं थे, वक्त धीरे- धीरे करवट बदल रहा था और अंग्रेजी हुकूमत मजबूत होती जा रही था और उनका रवैया हमारे प्रति और भी कठोर होता जा रहा था, समाज को जरूरत थी अच्छे प्रशासन की जो शासन के कार्यों संचालन को और बेहतर ढंग से चला सके, जरूरत थी समाज के लोक कल्याण के लिए एक ऐसी व्यवस्था की जो देश की जमींदारी व्यवस्था , शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय और प्रशासनिक नियंत्रण को अधिक सशक्त बना सके| एक तरफ देश अपने आत्म- सम्मान की लड़ाई के लिए लड़ रहा था , तो दूसरी और अंग्रेजी सत्ता प्रशासनिक नियंत्रण के लिए लोक सेवा को कैसे लाया जाये इस पर गौर कर रही थी, ताकि शासन को और मजबूती प्रदान की जा सके और जनता के मूल सामाजिक मुद्दों को पूरा किया जा सके और जन-जन तक सभी सुविधाएं पहुँच सकें|
सरकार और लोगों के बीच सबसे बड़ा सेतु बनाने की जिम्मेदारी सिविल सेवकों की होती है।
"सिविल सेवा, भारतीय समाज के आधुनिक और गतिशील विकास के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसका ऐतिहासिक अध्ययन हमें उसकी मौलिक भूमिका और उसके विकास में एक सामाजिक और आर्थिक संवर्धन की प्रक्रिया को समझने में मदद करता है।" समाज के लोक कल्याण और देश की कार्य कुशलता को बनाये रखने के लिए किसी भी देश में एक प्रशासनिक सेवा का ढांचा मजबूत होना अतिआवश्यक है।
राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस
इस दिन देश के विकास के लिए सिविल सेवकों के योगदान को याद किया जाता है जिसमें भारत सरकार उन्हें पुरस्कार से भी सम्मानित करती है
ऐतिहासिक पृष्‍ठभूमि
v सिविल सेवा शब्द ब्रिटिश काल का है जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के  नागरिक कर्मचारी प्रशासनिक नौकरियों में शामिल थे और उन्हें 'लोक सेवक' के रूप में जाना जाता था। इसकी नींव वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा रखी गई थी और बाद में चार्ल्स कॉर्नवालिस द्वारा और अधिक सुधार किए गए थे इसलिए उन्हें "भारत में सिविल सेवाओं के जनक" के रूप में जाना जाता था।
v भारत सरकार अधिनियम 1858 के बाद भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन शुरू हुआ, जिसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बजाय सीधे भारत पर शासन कर रहे थे।
v इंडियन सिविल सर्विसेज एक्ट 1861 के तहत भारतीय सिविल सेवा का गठन किया गया था।
v देश में सिविल सर्विसेज परीक्षा पहली बार 1922 में आयोजित की गई थी। हालांकि, तब इस परीक्षा को इंडियन इंपेरियल सर्विसेज के नाम से जाना था। लेकिन इसके कुछ वर्षों बाद इसका नाम बदल कर सिविल सर्विसेज एग्जाम कर दिया गया।
21 अप्रैल – को ही क्यों मनाया जाता है सिविल सेवा दिवस
स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिल्ली के मेटकाफ हाउस में प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित किया था। उन्होंने सिविल सेवकों को 'भारत का स्टील फ्रेम' कहा। 21 अप्रैल 1947 के दिन को उन्हें याद करने के रूप में चुना गया
सरदार वल्लभभाई पटेल
·        जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को नदियाड, गुजरात में
·        भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री
·        भारतीय संघ बनाने के लिए कई भारतीय रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका
·        बारडोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी
·        केवड़िया-(गुजरात) में उनके सम्मान में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण कराया गया है
अन्य मुख्य तथ्य
Ø  भारत के पहले आईएएस अधिकारी सत्येन्द्रनाथ टैगोर थे, जो 1863 में पहली बार आईएएस के रूप चुने गये थे।
Ø  वे ट्रेनिंग के लिए लंदन गए और नवंबर 1864 में वापस आए।
संबंधित संवैधानिक प्रावधान
अखिल भारतीय सेवा अधिनियम-1951
संविधान के अनुच्छेद 312 में प्रावधान है कि संसद कानून द्वारा संघ और राज्यों की सामान्य अखिल भारतीय सेवाओं में नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित कर सकती है।
संवैधानिक प्रावधान
Ø  अनुच्छेद-315: संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
Ø  अनुच्छेद-316: सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि
Ø  अनुच्छेद-317: लोक सेवा आयोग के सदस्य का हटाया जाना और निलंबन
Ø  अनुच्छेद-318: सदस्यों और कर्मचारियों की सेवा की शर्तों के संबंध में विनियम बनाने की शक्ति; अनु. 319- पद धारण करने पर रोक
Ø  अनुच्छेद-320: लोक सेवा आयोग के कार्य; 321- कार्यों का विस्तार
Ø  अनुच्छेद-322: लोक सेवा आयोग के व्यय
Ø  अनुच्छेद-323: लोक सेवा आयोग की रिपोर्ट
निष्कर्ष :
भारतीय सिविल सेवा का महत्व अपने आप में एक मील का पत्थर है। इसलिए, आईएएस परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों को भारत में सिविल सेवा की पृष्ठभूमि से परिचित होना चाहिए।

सिविल सेवा का मुख्य उद्देश्य लोगों की सेवा करना होता है। एक सिविल सेवक को समर्पण शीलता, न्याय, सेवा भाव, ईमानदारी, संवेदनशीलता जैसे गुणों के साथ होना चाहिए ताकि वह लोगों की सेवा में समर्थ हो सके और समाज को एक उत्कृष्ट और समृद्ध दिशा में अग्रसर कर सके।

शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024

महापरिनिर्वाण दिवस डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जीवन

 

महापरिनिर्वाण दिवस


डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जीवन और विरासत

चिंतन-मनन मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। ”                                                                                                   डॉ. बी.आर. अंबेडकर

हर साल 6 दिसंबर का दिन भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता हैजिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से जाना जाता है। अंबेडकर भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता (आर्किटेक्ट) थे। डॉ. अंबेडकर एक सम्मानित नेताविचारक और सुधारक थेजिन्होंने अपना पूरा जीवन समानता के लिए वकालत और जाति-आधारित भेदभाव को मिटाने के लिए समर्पित कर दिया। देशभर में लाखों लोग इस पवित्र दिन पर उनकी शिक्षाओं और न्यायपूर्ण और समावेशी समाज के निर्माण की प्रतिबद्धता पर विचार करके उनकी विरासत को श्रद्धांजलि देते हैं।


महापरिनिर्वाण दिवस 2024, बाबासाहेब डॉ. बीआर अंबेडकर की 69वीं पुण्यतिथि है, 6 दिसंबर, 2024 को डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन (डीएएफद्वारा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय
की ओर से प्रेरणा स्थल
संसद भवन परिसर में मनाया जाएगा। महापरिनिर्वाण दिवस उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और संसद के अन्य गणमान्य सदस्यों सहित प्रमुख नेताओं द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ शुरू होगा। यह कार्यक्रम सभी को डॉ. अंबेडकर के जीवन और विरासत को सम्मान देने के लिए आमंत्रित करता है।

महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व

महापरिनिर्वाण दिवस डॉ. बीआर अंबेडकर की परिवर्तनकारी विरासत के लिए श्रद्धांजलि के रूप में बहुत मायने रखता है। बौद्ध साहित्य के अनुसार भगवान बुद्ध की मृत्यु को महापरिनिर्वाण माना जाता हैजिसका संस्कृत में अर्थ 'मृत्यु के बाद निर्वाणहै। परिनिर्वाण को जीवन-संघर्षकर्म और मृत्यु तथा जन्म के चक्र से मुक्ति माना जाता है। यह बौद्ध कैलेंडर के अनुसार सबसे पवित्र दिन होता है।

समाज सुधारक बाबासाहेब अंबेडकर के अनुसार बुद्ध उनकी विचारधारा और विचारों के मामले में सबसे करीब थे। बाबासाहेब को बौद्ध गुरु माना जाता था, क्योंकि उन्होंने भारत में अस्पृश्यता जैसे सामाजिक अभिशाप का उन्मूलन करने को बहुत बड़ा प्रभाव डाला था। अंबेडकर के प्रशंसक और अनुयायी मानते हैं कि वे भगवान बुद्ध जितने ही प्रभावशाली थेयही वजह है कि उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह शोक मनाने का दिन नहीं है। यह चिंतन और प्रेरणा का दिन हैजो हमें न्यायपूर्ण और समावेशी दुनिया के उनके दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का आह्वान करता है।

डॉ. बी.आर. अंबेडकर की सामाजिक न्याय के लिए वकालत

14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्मे डॉ. बीआर अंबेडकर ने अपना जीवन हाशिए पर रह रहे समुदायोंखासकर दलितों-वंचितोंमहिलाओं और मजदूरों के उत्थान के लिए समर्पित कर दियाजिन्हें व्यवस्थागत सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। एक दूरदर्शी सुधारक और समानता के अथक समर्थक अंबेडकर ने पहचाना कि जातिगत उत्पीड़न देश को तोड़ रहा है और उन्होंने इन गहरी जड़ें जमाए हुए अन्याय को दूर करने के लिए परिवर्तनकारी उपायों की मांग की।

उन्होंने शिक्षारोजगार और राजनीति में उत्पीड़ितों को सशक्त बनाने के लिए आरक्षण सहित अनेक क्रांतिकारी प्रावधानों को प्रस्तावित किया। एक समाज सुधारक के रूप में उन्होंने दलितों की आवाज को बुलंद करने के लिए मूकनायक (वॉयसलेस लोगों का नेता) अखबार शुरू किया। उन्होंने शिक्षा का प्रसार करनेआर्थिक स्थितियों में सुधार लाने और सामाजिक असमानताओं को दूर करने के लिए 1923 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा (आउटकास्ट वेलफेयर एसोसिएशन) की स्थापना की। सभी लोगों को पीने का पानी मिले, इसके लिए उन्होंने महाड़ मार्च (1927 ) और कालाराम मंदिर (1930) में मंदिर प्रवेश आंदोलन जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों का नेतृत्व किया। उन्होंने जाति सोपानों और पुरोहिती प्रभुत्व को भी चुनौती दी।

डॉ. बीआर अंबेडकर ने 1932 के पूना समझौते के द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। इस समझौते ने दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की जगह आरक्षित सीटें निर्धारित की, जो आगे चलकर भारत के सामाजिक न्याय की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। बुद्ध की शिक्षाओं से गहरे प्रेरित डॉ. अंबेडकर ने मुक्ति के मार्ग और जाति-आधारित उत्पीड़न के प्रतिकार के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाया।



राष्ट्र निर्माता के रूप में

आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ. बीआर अंबेडकर का योगदान भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता के रूप में उनकी भूमिका से कहीं आगे है। उन्होंने एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की थी, जो न केवल राजनीतिक लोकतंत्र को कायम रखे बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय भी हासिल करने को सुनिश्चित करे। उनकी गहरी बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता ने प्रमुख आर्थिक और सामाजिक ढांचों को प्रभावित कियाजिससे वे स्वतंत्र भारत के शासन और विकास को आकार देने में मील का पत्थर साबित हुआ।

अंबेडकर की डॉक्टरेट थीसिस ने भारत के वित्त आयोग की स्थापना को प्रेरित किया। साथ हीउनके विचारों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआईअधिनियम, 1934 के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने और आरबीआई के निर्माण को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे हमारे देश में रोजगार कार्यालयों के संस्थापकों में से एक थे। उन्होंने रोजगार कार्यालयों की स्थापनाराष्ट्रीय विद्युत ग्रिड प्रणाली की स्थापना और दामोदर घाटी परियोजनाहीराकुंड बांध परियोजना और सोन नदी परियोजना जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं जैसे प्रणालीगत प्रगति का समर्थन कियाजिससे बुनियादी ढांचे और संसाधन प्रबंधन में उनकी दूरदर्शिता का पता चलता है।

संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में अंबेडकर ने भारतीय संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1948 में एक मसौदा प्रस्तुत किया, जिसे 1949 में न्यूनतम परिवर्तनों के साथ अपनाया गया। समानता और न्याय पर उनके जोर ने अनुसूचित जातियोंअनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने वाले प्रावधानों को सुनिश्चित कियाजिससे समावेशी लोकतंत्र की नींव सुनिश्चित हुई। डॉ. बीआर अंबेडकर को वर्ष 1990 में भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

आर्थिक नीति और बुनियादी ढांचे से लेकर संवैधानिक कानून तक डॉ. बीआर अंबेडकर के बहुमुखी योगदान ने एक राष्ट्र-निर्माता के रूप में उनकी विरासत को मजबूत कियाजो एक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण भारत को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध थे। उनके इस महापरिनिर्वाण दिवस पर  हमें न्यायसमानता और स्वतंत्रता के उनके आदर्शों को बनाए रखने की याद दिलाई जाती है और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए एक अधिक न्यायपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण दुनिया की ओर यात्रा जारी रखने की याद दिलाई जाती है।

Source-  https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2081255


शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

दिल्ली गैंग रेप: एक खौफनाक रात की कहानी

 


 

दिल्ली गैंग रेप: एक खौफनाक रात की कहानी

दिल्ली में एक महिला के साथ गैंग रेप की एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने राजधानी को हिला कर रख दिया। सराय काले खां इलाके में इस भयानक वारदात को अंजाम दिया गया, जिसमें एक महिला के साथ बेरहमी से सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उसे मरने के लिए सड़क के किनारे फेंक दिया गया। इस घटना ने ना सिर्फ दिल्ली को झकझोर दिया, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए।

घटना की शुरुआत

यह 10 और 11 अक्टूबर 2024 की दरम्यानी रात की बात है। दिल्ली के सराय काले खां इलाके में अंधेरा और खामोशी थी। आमतौर पर चहल-पहल से भरा रहने वाला इलाका अब शांत था। आधी रात के आसपास, एक कबाड़ व्यापारी प्रमोद, जो सेंट्रल दिल्ली में एक छोटी सी दुकान चलाता था, अपने सामान को समेट रहा था। वह उस रात ज्यादा शराब पी चुका था और लड़खड़ा रहा था।

 

प्रमोद ने देखा कि सड़क के किनारे एक महिला लाल कुर्ता पहने बैठी थी। वह महिला कुछ विचलित लग रही थी। प्रमोद ने नशे में धुत होकर उस महिला को बहला-फुसलाकर एक सुनसान जगह पर ले गया और उसके साथ दरिंदगी करने लगा।

दरिंदगी का सिलसिला

प्रमोद की दरिंदगी के बीच एक और व्यक्ति वहां पहुंच गया। वह शमशुल नाम का एक भिखारी था, जो इलाके में नशे में धुत रहने के लिए जाना जाता था। उसने प्रमोद को महिला के साथ बलात्कार करते देखा और वह भी इसमें शामिल हो गया। दोनों ने मिलकर महिला को पास की एक सुनसान जगह पर घसीटकर उसके साथ बारी-बारी से बलात्कार किया।

 

रात ढलती जा रही थी जब प्रभु महतो नाम का एक ऑटो चालक वहां से गुजरा। उसने भी महिला को देख लिया और प्रमोद और शमशुल के साथ मिलकर उसने भी महिला के साथ बलात्कार किया। इसके बाद प्रभु ने महिला को अपने ऑटो में बैठाकर दूसरी सुनसान जगह पर ले गया और वहां फिर से उसके साथ बलात्कार किया। अंत में, उसने महिला को सराय काले खां के पास सड़क के किनारे फेंक दिया।

पुलिस की जांच और गिरफ्तारी

रात के लगभग 3:15 बजे, एक राहगीर, जो एक आर्मी अफसर था, ने दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में कॉल किया और सड़क किनारे गंभीर रूप से घायल महिला की जानकारी दी। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और महिला को अस्पताल में भर्ती कराया। महिला ने अपने साथ हुए हादसे के बारे में टूटी-फूटी जानकारी दी, जिससे पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले।

डिप्टी पुलिस कमिश्नर रवि कुमार ने मामले की जांच के लिए दस विशेष टीमें बनाई। उन्होंने सराय काले खां और आसपास के इलाकों के 700 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। आखिरकार, 21 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद, पुलिस को आरोपियों का सुराग मिल गया और तीनों आरोपी प्रमोद, शमशुल और प्रभु महतो गिरफ्तार कर लिए गए। पूछताछ में उन्होंने अपने जुर्म को कबूल किया।

समाज के लिए संदेश

यह घटना महिलाओं की सुरक्षा के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को उजागर करती है। दिल्ली पुलिस ने अपनी मेहनत और समर्पण से आरोपियों को पकड़कर पीड़िता को इंसाफ दिलाने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाए और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग करें। इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे समाज में ऐसी दरिंदगी के खिलाफ क्या कदम उठाए जाने चाहिए और कैसे हम अपने शहरों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बना सकते हैं।

शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024

भूगोल- एस्ट्रोनॉमी ----- अन्तरिक्ष का अध्ययन खगोल विज्ञान, ब्रह्मांड, तारे, आकाशगंगा, सौर मंडल, पृथ्वी आदि।

 
  भूगोल
भूगोल





एस्ट्रोनॉमी ----- अन्तरिक्ष का अध्ययन


ब्रहमांड-  में तारे के पास अपनी उष्मा अपना प्रकाश होता है|
तारे का जीवन चक्र
·    तारे का निर्माणतारे की मृत्यु
तारे का निर्माण, तारे की मृत्यु





Ø तारातारा बनने से पहले वह गेंसो का गोला होता है निहारिका  के रूप  में  रहता है , नाभिकीय संलयन के कारण वह तारा बन जाता है| जिसमें H2  का संलयन He गेंस में होता है, बहुत ज्यादा मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिसका तापमान 6००० डिग्री तक हो जाता है जिसके कारण यह प्लाजमा की अवस्था में बदल जाता है|


Ø तारे का रंग-पृष्ठ तापमान पर निर्भर करता है, तारे में कम तापमान लाल उससे ज्यादा सफ़ेद, सबसे ज्यादा तापमान में यह नीला चमकता है| मानव विखंडन को कण्ट्रोल कर सकता है किन्तु संलयन को नहीं|









Ø 
तारे के अंदर ऊष्मा के रूप में हीलियम होता है, तारे का आकार बड़े होने का अर्थ होता है उष्मा खतम हो रही है| लाल दानव में तारा बड़ा हो जाता है| अंत प्रत्येक तारा लाल दानव बनता है| जब तारा चमकना  कम कर देता है तब उसे श्वेत तारा कहते हैं, जिसे जीवाश्म तारा भी कहते हैं| जब चमकना बंद कर देता है तब वह काला वामन वन जाता है|
Ø अभिनव तारा या विस्फोटक तारा-(Supernova) यह आकार में बड़ा तारा  होता है|
Ø NUTRAON पल्सर तारा होता है, साथ में चुम्बकीय तारा होता इसके बाद वह ब्लैक होल बदल जाता हैब्रहमांड में सबसे ज्यादा घनत्व ब्लैक होल का होता है|
ब्लैक होल


नोट- लाबा भी प्लाज्मा अवस्था में रहता है|   
चन्द्र शेखर सीमा
S- चन्द्रसेखर सीमा (सूर्य*1.४४)— यदि सूर्य के द्रब्यमान 1.44 से कम होता है तो स्वेत तारा बन जाता है जिसे जीवाश्म तारा भी कहते हैं, और यदि इससे अधिक हो तो ब्लैक होल में बदल जाता है, जो (neutron) तारा होता है |
आकाश गंगा
आकाश गंगा


टोटल आकाशगंगा १०० अरब एक आकाश गंगा  में लगभग १००० हजार अरब तारे होते है|
1.       मंदाकिनी-MILKEYWAY—जिसमें हमारा सूर्य इसका चक्कर लगा रहा है| २५०/sec की स्पीड से चक्कर लगता है एक चक्कर लगाने में 25 करोड़ साल लगते हैंसूर्य का सबसे करीबी तारा प्रोक्सिमा सेंचुरी है|

2.       मिल्की वे (आकाशगंगा): एक विस्तृत विवरण
3.       आपने बिल्कुल सही कहा है कि हमारी मिल्की वे आकाशगंगा एक विशाल तारों का समूह है जिसमें हमारा सूर्य भी शामिल है। आइए इस विषय पर और गहराई से चर्चा करें।
4.       मिल्की वे के बारे में कुछ रोचक तथ्य
5.       अकार: मिल्की वे एक सर्पिल आकाशगंगा है जो एक विशाल चक्र जैसी दिखती है। इसका व्यास लगभग 100,000 प्रकाश वर्ष है।
6.       सूर्य का चक्कर: हमारा सूर्य इस आकाशगंगा के केंद्र के चारों ओर लगभग 250 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से घूम रहा है। एक चक्कर पूरा करने में सूर्य को लगभग 25 करोड़ साल लगते हैं।
7.       तारों की संख्या: मिल्की वे में अरबों तारे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसमें 100 से 400 अरब तारे हो सकते हैं।
8.       सूर्य का निकटतम तारा: सूर्य के सबसे निकट का तारा प्रॉक्सिमा सेंचुरी है जो कि अल्फा सेंटॉरी तारा तंत्र का हिस्सा है।
9.       मिल्की वे की संरचना
10.   मिल्की वे में कई भाग होते हैं:
11.   केंद्र: मिल्की वे के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है।
12.   डिस्क: डिस्क में सर्पिल भुजाएँ होती हैं जिनमें अधिकांश तारेगैस और धूल स्थित होते हैं।
13.   हलो: हलो एक गोलाकार क्षेत्र है जिसमें पुराने तारे और ग्लोब्युलर क्लस्टर होते हैं।
Milky Way galaxy structure
Milky Way galaxy structure


14.   मिल्की वे का महत्व
15.   हमारा घर: हमारा सौर मंडल मिल्की वे का ही एक हिस्सा है।
16.   ब्रह्मांड की समझ: मिल्की वे का अध्ययन हमें ब्रह्मांड के बारे में बेहतर समझने में मदद करता है।
17.   अन्य आकाशगंगाओं की तुलना: मिल्की वे का अध्ययन हमें अन्य आकाशगंगाओं की तुलना करने में मदद करता है।
18.   कुछ रोचक तथ्य
19.   मिल्की वे आकाशगंगा में हमारी आकाशगंगा के अलावा भी कई छोटी आकाशगंगाएँ हैं जो मिल्की वे की परिक्रमा करती हैं।
20.   मिल्की वे में कई सुपरनोवा विस्फोट होते हैं जो नए तारों और ग्रहों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
21.   मिल्की वे लगातार बदल रही है। तारे बन रहे हैं और मर रहे हैंऔर आकाशगंगा का आकार भी बदल रहा है।
22.   क्या आप मिल्की वे के बारे में और जानना चाहते हैं?
23.   मैं आपको मिल्की वे के बारे में और अधिक जानकारी प्रदान कर सकता हूंजैसे कि:
24.   मिल्की वे का इतिहास
25.   मिल्की वे का भविष्य
26.   मिल्की वे में जीवन की संभावना
27.   और भी बहुत कुछ
28.   बस मुझे बताएं कि आप क्या जानना चाहते हैं।
29.   आकाश गंगा  के केंद्र को बल्ज  कहते है|
30.   देबयानी मंदाकिनी के सबसे करीब आकाशगंगा है|
31.   तीन आकाशगंगा के ग्रुप को सुपर क्लस्टर कहते हैं|
32.   नए तारे के पास ऊष्मा ज्यादा  होती होती है क्यूंकि वह आकाश गंगा के किनारे पर है|
33.   कई सुपर क्लस्टर मिलकर ब्रह्माण्ड का निर्माण करते हैं|
34.   हमारे टोटल नक्षत्र 27 होते हैं| कुल तारा मंडल 89 होते हैं|
35.   सप्त ऋषि  में तारो की संख्या 7 सप्त ऋषि की संख्या 2 होती है|
36.   हंटर स्टार एक 11 तारो का ग्रुप है इसके पास सबसे करीब तारा साईंरस है जो सबसे चमकीला भी होता है
37.   ब्रह्माण्ड का विस्तार जरी है,  जब यह रुक जायेगा तो वह सुपेर्क्रेच हो जायेगा और ब्रह्माण्ड नस्ट हो जायेगा|
38.   सौरमंडल की उत्त्पति का सिद्धांत--- डबल स्टार -3  सिद्धांत को  लिलिटन ने
दिया जो सफल माना गया इसमें उन्होंने तीन तारो का को समझाया एक बड़े तारे में विस्फोट हुआ जिसमें से ग्रहों  का निर्माण हुआ कुछ हिस्सा ब्लैक होल बना और अपने पास के तारे को नष्ट कर  दिया और बचा हमारा सूर्य जिसके गुरुत्वाकर्षण के कारण सभी ग्रह आस-पास घुमने लगे और बचा  हुआ कुछ धुल के कण पत्थर शनि  ग्रह के चारो और घुमने लगे |
39.   किन्तु चेम्ब्र्लिन जींस के द्वारा दिया गया यह सिद्धांत बिफल रहा|
40.   मोनो स्टार थ्योरी--- KAND और LAPLAKARN ने दिया जो बिफल रहा|
 
सूर्य
सूर्य




नोट: -सूर्य  का सूचक तापमान होता है जो द्रव्यमान पर निर्भर करता है| इसमें सात रंग का प्रकाश होता है|

1.       पहला भाग कोर होता है जिसे केंद्रीय भाग भी कहते हैं—जिसमें  हाइड्रोजन (75%) का संलयन हीलियम (24) में होता है, तापमान १५ MC होता है|

2.       दूसरा भाग फोटान होता है, जिसमें X-RAY और Y-RAY निकलती हैं|

3.       कांवाक्टिवे जोन- हाइड्रोजन सैल से बना होता है|

4.       फोटान कांवात्क्टिवे जोन को फाड़कर बहार निकलता है, जिसे हम प्रकाश कहते हैं|

5.       कभी कभी कोर से प्लाज्मा बहार आजाता है जिसे सोर ज्वाला कहते हैं| 7000 डिग्री से बहार जाता है, जिसकी ऊर्जा ४००० से कम होती है वह प्लाज्मा बापस सूर्य में आजाता है जिसे सौर कलंक कहते हैं|

6.       कोर से निकला प्लाज़मा पृथ्वी के पास आजाता है किन्तु  सौर ज्वाला बाह्यमंडल के कारण ऊपर चला  जाता है जिसे अरोरा बोरिओलिस कहते हैं और जो नीचे आता है उसे अरोरा अस्त्रोलिसीस कहते हैं| सोलोर स्पॉट साइकिल 11 साल की होती है| एक सोलोर इवेंट ११०० साल में होता है|

7.       सौर ज्वाला के आन्तरिक भाग को अम्बरा जिसे मेग्नेट आर भी कहते हैं, और बहाइये भाग को पैरामबरा कहते हैं|

8.       सूर्य में हीलियम 24 % और 75 % H2 बाकि सभी गेंस है |

9.       पृथ्वी से सूर्य का व्यास 109 गुना, गुउर्त्वाकर्ष्ण 28 गुना घनत्व 20 गुना, मास ३३२००० गुना है|

सौरमंडल

·        सौरमंडल में सूर्य के 8 गृह हैं| सूर्य का चक्कर ग्रह लगाता है और उपग्रह- ग्रह का चक्कर लगते हैं|

बुध:

1.       सबसे छोटा और सूर्य के सबसे निकट: बुध सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है और सूर्य के सबसे निकट स्थित है। इसकी सतह चंद्रमा की सतह जैसी उबड़-खाबड़ है।

2.       कोई वायुमंडल नहीं: बुध का कोई वायुमंडल नहीं हैजिसके कारण यहां दिन का तापमान बहुत अधिक और रात का तापमान बहुत कम होता है।

3.       लौह चुंबकीय क्षेत्र: बुध का एक लौह चुंबकीय क्षेत्र हैजो वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।

शुक्र:

4.       सबसे गर्म ग्रह: शुक्र सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह हैभले ही यह शुक्र नहीं बल्कि बुध सूर्य के सबसे निकट है। इसका घना वायुमंडल ग्रीनहाउस प्रभाव का कारण बनता हैजिससे गर्मी फंस जाती है।

5.       उल्टा घूर्णन: शुक्र पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता हैजो कि अन्य अधिकांश ग्रहों के विपरीत है।

6.       सल्फ्यूरिक एसिड के बादल: शुक्र के वायुमंडल में सल्फ्यूरिक एसिड के बादल होते हैं।

पृथ्वी:

7.       जीवन का एकमात्र ज्ञात ग्रह: पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन मौजूद है।

8.       पानी: पृथ्वी की सतह का अधिकांश भाग पानी से ढका हुआ है।

9.       चंद्रमा: पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा है।

मंगल:

10.   लाल ग्रह: मंगल को लाल ग्रह कहा जाता है क्योंकि इसकी सतह पर लौह ऑक्साइड की अधिकता के कारण यह लाल दिखाई देता है।

11.   जीवन की संभावना: वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल पर कभी जीवन रहा होगा और भविष्य में वहां जीवन हो सकता है।

12.   ओलंपस मॉन्स: मंगल पर ओलंपस मॉन्स नाम का एक विशाल ज्वालामुखी हैजो सौरमंडल का सबसे ऊंचा पर्वत है।

बृहस्पति:

13.   सबसे बड़ा ग्रह: बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है और मुख्य रूप से गैसों से बना है।

14.   ग्रेट रेड स्पॉट: बृहस्पति पर ग्रेट रेड स्पॉट नाम का एक विशाल तूफान है जो सैकड़ों वर्षों से चल रहा है।

15.   बृहस्पति के कई चंद्रमा हैंजिनमें से गैनीमेड सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है।

शनि:

16.   छल्ले: शनि अपने छल्लों के लिए प्रसिद्ध है। ये छल्ले बर्फ और चट्टान के छोटे-छोटे टुकड़ों से बने होते हैं।

17.   टाइटन: शनि का सबसे बड़ा चंद्रमा टाइटन हैजो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है।

18.   कम घनत्व: शनि इतना कम घना है कि यदि इसे पानी में रखा जाए तो यह तैर जाएगा।

अरुण और वरुण:

19.   बर्फ के विशालकाय: अरुण और वरुण को बर्फ के विशालकाय कहा जाता है क्योंकि इनमें हाइड्रोजनहीलियममीथेन और अमोनिया जैसी बर्फ जैसी सामग्री होती है।

20.   अरुण का झुकाव: अरुण अपने अक्ष पर लगभग 90 डिग्री झुका हुआ हैजिसके कारण यह अपनी तरफ घूमता हुआ प्रतीत होता है।

21.   अतिरिक्त जानकारी:

22.   आंतरिक और बाहरी ग्रह: बुधशुक्रपृथ्वी और मंगल को आंतरिक ग्रह कहा जाता हैजबकि बृहस्पतिशनिअरुण और वरुण को बाहरी ग्रह कहा जाता है।

23.   कुइपर बेल्ट: नेप्च्यून के परे कुइपर बेल्ट नामक एक क्षेत्र हैजिसमें बौने ग्रह प्लूटो भी शामिल है।

निष्कर्ष:

24.   सौरमंडल एक अद्भुत जगह हैजिसमें विभिन्न प्रकार के ग्रहचंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंड हैं। प्रत्येक ग्रह की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं जो इसे अन्य ग्रहों से अलग करती हैं।

25.   क्या आप किसी विशेष ग्रह के बारे में और जानना चाहते हैं?

26.   अरुण- बाह्य ग्रह , उल्टा घुमने वाला, पूर्व से पश्चिम, लेटा  हुआ ग्रह

27.   वरुण- बाह्य ग्रह

उल्का  पिंट

v सिरस उल्का पिंट सबसे चमकीला होता है- उल्का  पिंट से बनने वाली झील को   क्रेअटर कहते हैं- यह घूर्णन गति की दिसा में कम चमकीला  होता है वोलईट कहते है और जो टेकटित कहलाता है|

1.       धुल के कण लाल होती है जो रेड रेन कहते हैं|

2.       पृथ्वी को गर्म कर देते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं

3.       का द्रव्यमान बढ़ जायेगा जिसके कारण गुर्त्वाकर्ष्ण बढ़ जाता है|

पृथ्वी के बारे में कुछ अतिरिक्त तथ्य:

पृथ्वी का वातावरण

पृथ्वी का वातावरण एक गैसीय आवरण है जो पृथ्वी को घेरता है। यह हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करता हैहमें सूर्य की हानिकारक विकिरण से बचाता हैऔर हमें एक स्थिर तापमान प्रदान करता है।

पृथ्वी की प्लेटें

पृथ्वी की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है जो लगातार गतिशील रहती हैं। इन प्लेटों की गति के कारण भूकंपज्वालामुखी और पर्वतों का निर्माण होता है।

पृथ्वी पर जीवन का विकास

पृथ्वी पर जीवन का विकास लगभग 3.8 अरब वर्ष पहले शुरू हुआ था। वैज्ञानिकों का मानना है कि जीवन का विकास समुद्र में शुरू हुआ थाजहां सूर्य की ऊर्जा और रासायनिक तत्वों ने जीवन के लिए आवश्यक अणुओं का निर्माण किया।

·        पृथ्वी की जियोड आकृति: पृथ्वी की आकृति पूरी तरह से गोल नहीं हैबल्कि थोड़ी चपटी है। इसे जियोड आकृति कहा जाता है।

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र: पृथ्वी का एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र है जो हमें सूर्य से आने वाली हानिकारक विकिरण से बचाता है।
पृथ्वी की परतें: पृथ्वी तीन मुख्य परतों से बनी है: क्रस्टमेंटल और कोर।
प्लेट टेक्टोनिक्स: पृथ्वी की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है जो लगातार गतिशील रहती हैं। इन प्लेटों की गति के कारण भूकंपज्वालामुखी और पर्वतों का निर्माण होता है।
जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां: पृथ्वी पर जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैंजैसे कि पानी की उपस्थितिस्थिर तापमान और वायुमंडल में ऑक्सीजन की उपस्थिति।
पृथ्वी की उम्र: वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी की उम्र लगभग 4.54 अरब वर्ष है।

टॉलमीकोपरनिकस और केप्लर:

o    टॉलमी: टॉलमी ने भूकेंद्रीय सिद्धांत दिया थाजिसके अनुसार पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है और सभी ग्रह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।

o    कोपरनिकस: कोपरनिकस ने सूर्यकेंद्रीय सिद्धांत दिया थाजिसके अनुसार सूर्य ब्रह्मांड का केंद्र है और सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।

o    केप्लर: केप्लर ने ग्रहों की गति के तीन नियम दिए थेजिनके अनुसार ग्रह दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।

गैलीलियो:
 गैलीलियो ने दूरबीन का उपयोग करके खगोलीय पिंडों का अध्ययन किया था और कोपरनिकस के सूर्यकेंद्रीय सिद्धांत का समर्थन किया था।

https://www.merriam-webster.com/dictionary/geography#:~:text=1,3

https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2

 

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